पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर सफाई, कहा- 'सिर्फ अस्तित्व संकट में होगा तो उठाएंगे कदम'

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर तेजी से बढ़ गया है। इस हमले के बाद जहां भारत की ओर से संभावित सैन्य कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं, वहीं पाकिस्तान ने भी अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। ताजा हालात में पाकिस्तान की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और उसके शीर्ष रक्षा अधिकारी लगातार भारत को लेकर बयानबाज़ी कर रहे हैं।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी Reuters के साथ बातचीत में कहा कि पाकिस्तान ने अपनी सेनाओं की ताकत को और बढ़ा दिया है, क्योंकि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की सैन्य स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा, "हम हाई अलर्ट पर हैं। अगर हमारे देश के अस्तित्व को कोई सीधा खतरा हुआ तो हम अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटेंगे।" आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान युद्ध की आशंका को लेकर मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आने वाले दो से चार दिनों के भीतर युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

हालांकि, उनके इस बयान को लेकर पाकिस्तान के भीतर और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विवाद खड़ा हो गया है। बयान की आलोचना के बाद ख्वाजा आसिफ ने सफाई दी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उनकी बातों को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। इससे पहले ख्वाजा आसिफ ने Sky News को दिए गए इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने और टेरर फंडिंग में शामिल रहने का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने साफ-साफ कहा, "हमने लगभग 30 वर्षों तक अमेरिका के लिए यह गंदा काम किया है — आतंकवादियों को समर्थन देना, उन्हें पनाह देना और उनकी फंडिंग करना।" इस स्वीकारोक्ति ने पाकिस्तान की वैश्विक छवि को और भी सवालों के घेरे में ला दिया है।

आसिफ ने यह दावा भी किया कि भारत-विरोधी गतिविधियों में लिप्त आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा अब पाकिस्तान में मौजूद नहीं है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि अतीत में लश्कर का पाकिस्तान के साथ कुछ संपर्क रहा है, लेकिन अब वह संगठन खत्म हो चुका है। हालांकि, भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इस दावे को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं और लगातार पाकिस्तान से ठोस कार्रवाई की मांग कर रही हैं। भारत में सरकार और रक्षा विशेषज्ञों के बीच भी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर गंभीर चर्चा जारी है। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आतंक के खिलाफ उसकी नीति "जीरो टॉलरेंस" की है और किसी भी हमले का जवाब उचित समय और स्थान पर दिया जाएगा।

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