छत्तीसगढ़ शराब घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, कहा- 'कब तक आरोपी को जेल में रखेंगे?'

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में हुए 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के संदर्भ में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने यह सवाल उठाया कि आरोपी को कब तक जेल में रखा जाएगा, जबकि इस मामले में अब तक तीन चार्जशीट दायर की जा चुकी हैं और जांच अभी भी चल रही है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने इस मामले की गंभीरता पर ध्यान देते हुए कहा कि आरोपी को हिरासत में रखकर प्रक्रिया को ही सजा बना दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “यह कोई आतंकवादी गतिविधि या ट्रिपल मर्डर का मामला नहीं है, इसे सिर्फ लंबे समय तक जारी रखने से किसी को सजा नहीं मिल जाएगी। 


जांच अपनी गति से चलेगी और यह अनंत काल तक भी चल सकती है।” राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने इस मामले में जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि मामले के कुछ आरोपियों के साथ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का अन्य आरोपियों के साथ आमना-सामना कराना आवश्यक है, ताकि न्याय प्रक्रिया सही तरीके से पूरी हो सके। वहीं, आरोपियों के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने तर्क दिया कि इस मामले में तीन चार्जशीट पहले ही दायर हो चुकी हैं, लेकिन आरोप तय होना अब भी बाकी है। उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता को तीन अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था और सरकार के कर्मचारियों समेत छह आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में 457 गवाह हैं, और जांच अब भी जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं अरविंद सिंह और अमित सिंह को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से आमना-सामना करने की अनुमति दे दी है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस घोटाले के संबंध में आरोप लगाया है कि यह पूरी घटना राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक नेताओं के एक सिंडिकेट के द्वारा की गई थी। इस सिंडिकेट ने 2019-22 के बीच 2000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम इकट्ठी की थी। 

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में आयकर विभाग द्वारा दायर किए गए आरोपपत्र से सामने आया। ईडी के अनुसार, शराब निर्माताओं से रिश्वत ली गई थी, ताकि वे एक कार्टेल बना सकें और बाजार में एक तय हिस्से को नियंत्रित कर सकें। इस पूरे मामले की जांच में कई प्रमुख सवाल खड़े हो रहे हैं, और अब यह देखना बाकी है कि इस घोटाले में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जाती है।

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