
दिल्ली फीस एक्ट को कैबिनेट की मंजूरी, अब नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। दिल्ली की बीजेपी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक नया कानून—दिल्ली फीस एक्ट—लाने का फैसला किया है। इस एक्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे जल्द ही दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाएगा। विधानसभा से पारित होने के बाद यह कानून रूप ले लेगा, जिससे दिल्ली के निजी स्कूलों की फीस नीतियों पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा।
दिल्ली में बीते कुछ वर्षों से प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही अनियमित और अत्यधिक फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों में भारी असंतोष था। हाल ही में एक सर्वे में सामने आया कि लगभग 42% अभिभावकों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में स्कूलों ने 50 से 80 प्रतिशत तक फीस में बढ़ोतरी की है। अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्राइवेट स्कूलों की बेलगाम फीस वृद्धि पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा, "शिक्षा कोई व्यापार नहीं है। नई सरकार शिक्षा के क्षेत्र में किसी प्रकार का बाजारीकरण या मुनाफाखोरी बर्दाश्त नहीं करेगी। बच्चों के हित सर्वोपरि हैं और सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।"
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस कानून को कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया था। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "दिल्ली फीस एक्ट का उद्देश्य शिक्षा के मंदिरों को लूट का अड्डा बनने से रोकना है। इस कानून के तहत अब स्कूलों को हर प्रकार की फीस बढ़ोतरी से पहले उचित प्रक्रिया और अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।"
शिक्षा मंत्री सूद ने इस मौके पर आम आदमी पार्टी की पूर्व सरकार और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने निजी स्कूलों के ज़रिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर दिया। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, "अगर मनीष सिसोदिया के पास कोई सबूत हैं तो वे मीडिया के सामने आएं, न कि झूठे आरोप लगाकर लोगों को भ्रमित करें।"
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