सोची-समझी साजिश थी पहलगाम नरसंहार, आतंकियों ने पहले की थी रेकी: NIA
कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए बर्बर आतंकी हमले की जांच को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। इस भीषण हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया है। अब तक की जांच में सामने आया है कि यह हमला अचानक या किसी तात्कालिक परिस्थिति में नहीं हुआ था, बल्कि इसे पहले से बारीकी से योजना बनाकर अंजाम दिया गया। जांच एजेंसी ने प्रत्यक्षदर्शियों, घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों और उपलब्ध तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचना शुरू किया है कि यह हमले की एक घातक साजिश थी जिसमें आतंकियों ने न केवल निर्दोष पर्यटकों को टारगेट किया, बल्कि उन्हें चुनकर मारा जिनकी धार्मिक पहचान हिंदू थी।
जानकारी के अनुसार, हमले के दिन दो आतंकी बैसरन घाटी में एक लोकप्रिय फूड स्टॉल के पास पहले से ही मौजूद थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि दोपहर लगभग ढाई बजे ये आतंकी अचानक हरकत में आए और उन्होंने वहां मौजूद लोगों से उनका मजहब पूछना शुरू कर दिया। जिन्होंने खुद को हिंदू बताया, उन्हें तुरंत गोली मार दी गई। ये पूरा सिलसिला महज दो-तीन मिनट में पूरा हुआ, जिसमें चार लोगों की मौके पर ही जान चली गई।
इसके कुछ ही क्षणों बाद, नजदीकी जंगलों और पहाड़ियों से अन्य आतंकी भी आ गए और उन्होंने पूरे इलाके में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों ने न केवल गोलीबारी की बल्कि बेहद बर्बर तरीके से लोगों को कलमा पढ़ने को मजबूर किया, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे मुस्लिम नहीं हैं, कुछ पीड़ितों की पैंट उतरवाकर खतना जांचा। यह पूरी घटना सुनियोजित नरसंहार को दर्शाती है, जिसमें खास रणनीति के तहत पहले धार्मिक पहचान सुनिश्चित की गई और फिर सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई ताकि कोई भी पीड़ित जीवित न बचे।
इस हमले में कुल 26 लोगों की जान गई, जिनमें एक स्थानीय निवासी आदिल भी था, जो पर्यटकों को घोड़े पर सवारी कराता था। NIA की जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकियों ने इस हमले की योजना पहले ही बना ली थी और अप्रैल के पहले सप्ताह में इलाके की रेकी भी की थी। मूल योजना के अनुसार हमला दो दिन पहले किया जाना था, लेकिन खराब मौसम और भारी बारिश के चलते इसे टाल दिया गया। 22 अप्रैल को जब मौसम साफ हुआ और घाटी में करीब 5,000 स्थानीय व बाहरी पर्यटक मौजूद थे, तब आतंकियों ने इसे हमले के लिए उपयुक्त समय समझा और योजना को क्रियान्वित कर दिया।
एनआईए इस समय होटल, गेस्ट हाउस, सड़क किनारे दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के CCTV फुटेज खंगाल रही है ताकि हमलावरों की पहचान और उनकी हरकतों की कड़ी जोड़ी जा सके। एजेंसी स्थानीय लोगों से भी पूछताछ कर रही है कि क्या उन्होंने पिछले कुछ दिनों में कोई संदिग्ध गतिविधि देखी थी। साथ ही सुरक्षा एजेंसियां यह जानने का प्रयास कर रही हैं कि क्या इस हमले के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क या सीमा पार से निर्देशित कोई साजिश थी।
NIA का कहना है कि यह केवल प्रारंभिक चरण की जांच है और आगे चलकर कई और तथ्य सामने आ सकते हैं। आतंकियों ने जिस सटीकता से हमला किया और टारगेटिंग के लिए धार्मिक पहचान को आधार बनाया, उससे यह साबित होता है कि यह महज एक आतंकी वारदात नहीं थी, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की सोची-समझी कोशिश भी थी।
यह हमला न केवल स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि अब आतंकवाद का चेहरा और अधिक क्रूर और संगठित होता जा रहा है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती और भी बड़ी हो गई है, खासकर ऐसे समय में जब कश्मीर घाटी में पर्यटन का सीजन अपने चरम पर है।
देश की जनता इस घटना से आहत है, और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में सरकार और एजेंसियों से ठोस कदमों की अपेक्षा की जा रही है। यह आवश्यक हो गया है कि न केवल हमलावरों की पहचान कर उन्हें सजा दी जाए, बल्कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर खुफिया तंत्र को और मजबूत किया जाए।
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