
कांग्रेस के पोस्ट पर भाजपा का हमला, गजवा-ए-हिंद से जोड़ने के लगाए आरोप
पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जहां एक ओर देश भर में शोक और आक्रोश का माहौल है, वहीं दूसरी ओर इस हमले को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर कांग्रेस पार्टी द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पोस्ट ने विवाद की आग और भड़का दी है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर साझा करते हुए टिप्पणी की कि “जिम्मेदारी के समय गायब।” इस पोस्ट को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तीव्र आपत्ति जताई है। भाजपा का आरोप है कि यह पोस्ट जानबूझकर उकसावे की नीयत से किया गया है और इसमें प्रयोग की गई तस्वीर ऐसी प्रतीकात्मक भाषा लिए हुए है जो कि कुछ कट्टरपंथी अभियानों से मेल खाती है।
भाजपा नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री के प्रति हिंसा को भड़काने वाला और असंवेदनशील करार दिया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस पोस्ट की तुलना आतंकी संगठन गजवा-ए-हिंद के प्रचार सामग्री से करते हुए गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कांग्रेस और ऐसे संगठनों के बीच क्या कोई वैचारिक समानता या कोई तालमेल है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस लंबे समय से प्रधानमंत्री के प्रति दुर्भावना रखती आई है और यह पोस्ट उसी मानसिकता का विस्तार है।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इस पोस्ट के माध्यम से कांग्रेस ने जानबूझकर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया है। उनका कहना था कि यह महज एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के खिलाफ नफरत फैलाने की एक गहरी साजिश है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी पहले भी कई बार सार्वजनिक मंचों पर प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसक बयानबाजी कर चुके हैं।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस प्रकरण को अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि हाल ही में लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर भारतीय समुदाय द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान एक पाकिस्तानी अधिकारी ने बालकनी से सिर काटने का इशारा किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का यह पोस्ट उसी तरह की विचारधारा को दर्शाता है और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस पाकिस्तान के रुख के साथ खड़ी है।
इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे असंवेदनशील करार दे रहे हैं, वहीं कुछ इसे सरकार की आलोचना का अधिकार मान रहे हैं।
यह विवाद ऐसे समय पर उभरा है जब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखा रहा है। पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकतर निर्दोष पर्यटक थे।
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