‘एक देश, एक चुनाव’ को कैबिनेट से मिली मंजूरी, शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल

देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। बुधवार को केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया, जिस पर सर्वसम्मति से कैबिनेट ने मुहर लगा दी। बिल को संसद के शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में पेश किया जा सकता है। हालाँकि, बिल का संसद में पास होना मुश्किल है, क्योंकि विपक्ष सरकार की बातों से सहमत नहीं है। समिति ने 18 हज़ार 626 पन्नों की यह रिपोर्ट लोकसभा चुनाव से पहले इसी साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी। बताया जा रहा है कि 2 सितंबर 2023 को गठित की गयी समिति की रिपोर्ट को लेकर कानून मंत्री काफी सक्रिय है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक देश एक चुनाव के क्या फ़ायदे हो सकते है, और कैसे इस पर अमल किया जा सकता है। इसके अलावा स्थानीय निकाय चुनावों को भी इसमें शामिल किया गया है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है।


प्रधानमंत्री मोदी कई मौकों पर एक देश, एक चुनाव का समर्थन कर चुके है। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक स्थल लाल किले से दिए भाषण में भी एकल चुनावों को लेकर जोर दिया। पीएम मोदी ने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘एक चुनाव’ देश की जरूरत बन चुका है। देश में होने वाले बार-बार चुनाव विकास की गति में बाधा पैदा करते है। 17 सितंबर को अमित शाह ने कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू करेगी।


 समिति की सिफारिशें


कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव संपन्न कराए जाने के बाद 100 दिनों के भीतर निकायों के चुनाव को भी कराया जा सकता है। समिति की और से सिफारिशों को लागू करने के लिए भी एक अलग समूह के गठन का सुझाव दिया गया है। समिति का कहना है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से देश के क़ीमती संसाधनों की भी बचत की जा सकती है। इसके अलावा जटिल प्रक्रिया को भी आसान किया जा सकेगा। इस फॉर्मूले को लागू करने के लिए सबसे जरूरी बात यह बताई गयी है कि देश में कॉमन इलेक्ट्रॉल रोल यानी एकल मतदाता सूची तैयार की जाए, जिसका इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों में भी किया जाएगा। मौजूदा समय में तीनों ही स्तर पर मतदाता सूची अलग-अलग संस्थाओं द्वारा जारी की जाती है। फिलहाल, केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराए जाते है। वहीं, स्थानीय और पंचायती स्तर के चुनावों का आयोजन राज्य निर्वाचन आयोग करता है।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक देश एक चुनाव के लिए कुल 18 संवैधानिक संशोधनों की जरूरत है। इन संशोधन में से ज्यादातर में राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। ख़बरों के अनुसार, लॉ कमीशन 2029 में लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकायों और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दे सकता है।


किन प्रावधानों के लिए आधे राज्यों की मंजूरी


अभी तक की जानकारी के मुताबिक़, एक सिंगल रोल और सिंगल आईडी कार्ड के क़ानून को लागू करने के लिए आधे राज्यों की विधानसभाओं की भी मंजूरी लेनी होगी। इस मामले में भी जल्द विधि आयोग की तरफ से एक रिपोर्ट पेश की जा सकती है।


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