जामा मस्जिद से उठी आवाज़: देश पहले, मजहब बाद में

देशभर में कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के बाद गहरा शोक और जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। इस हमले ने न केवल इंसानियत को शर्मसार किया, बल्कि देश की एकता और अखंडता को भी चुनौती दी है। दिल्ली की ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित जामा मस्जिद की सीढ़ियों से शुक्रवार को देश के मुसलमानों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर स्पष्ट संदेश दिया कि आतंक और दहशत के खिलाफ भारत का हर नागरिक खड़ा है चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से क्यों न हो।


जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में मुसलमानों ने नम आँखों और गुस्से से भरे दिलों के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के पोस्टर थामकर यह जताया कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता और जो भी भारत की संप्रभुता, शांति और भाईचारे को नुकसान पहुंचाएगा, उसका डटकर विरोध किया जाएगा। जामा मस्जिद की सीढ़ियों से साफ कहा गया कि पाकिस्तान न केवल भारत का शत्रु है, बल्कि भारतीय मुसलमानों का भी दुश्मन है। इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वालों का न तो मजहब से कोई वास्ता है, न ही मानवता से।

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि आतंकवाद के खिलाफ अब और नरमी नहीं, बल्कि सख्त और निर्णायक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर भारत को वास्तव में शांति और स्थायित्व चाहिए, तो आतंकवाद के खिलाफ देशव्यापी और ठोस अभियान चलाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की धर्म के आधार पर की गई हत्या न केवल अमानवीय थी, बल्कि यह साबित करती है कि आतंकवाद का मकसद सिर्फ खून-खराबा और समाज में नफरत फैलाना है। लोगों ने कश्मीर के उन बहादुर नागरिकों को सलाम किया जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कई मासूमों की जान बचाई और आतंकियों का मुकाबला किया। साथ ही, उन 26 परिवारों के साथ गहरी संवेदना प्रकट की गई, जिन्होंने अपने मासूम बच्चों, पतियों, बहनों या माता-पिता को खोया। यह कहा गया कि पूरे भारत का दिल आज उनके साथ धड़क रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के 140 करोड़ नागरिक — चाहे वे हिंदू हों, मुस्लिम, सिख, ईसाई, दलित या आदिवासी — सभी मिलकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। यह लड़ाई केवल एक धर्म की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की है। उन्होंने चेतावनी दी कि कुछ शक्तियाँ समाज में नफरत फैलाकर भाई को भाई से लड़ाना चाहती हैं, पर भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब और आपसी भाईचारा इस साज़िश को कभी सफल नहीं होने देगा। उन्होंने याद दिलाया कि आज़ादी की लड़ाई में जिस तरह हिंदू-मुसलमानों ने कंधे से कंधा मिलाकर विदेशी हुकूमत से टक्कर ली थी, उसी तरह आज भी आतंकवाद और नफरत की ताकतों के खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर लड़ेगा। भारत का मुसलमान देशभक्ति में किसी से कम नहीं और जब भी देश पर आंच आएगी, वह सबसे पहले आगे खड़ा मिलेगा। क्या आप चाहते हैं कि इसे किसी लेख, भाषण, या पोस्टर के रूप में तैयार कर दूं?

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