सावरकर टिप्पणी पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, अगली बार स्वतः संज्ञान की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी वी. डी. सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी पर मौखिक असहमति व्यक्त करते हुए इसे "गैर-जिम्मेदाराना" करार दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ की एक अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी, लेकिन स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि भविष्य में उन्होंने इसी तरह की टिप्पणी दोहराई, तो अदालत स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है।


न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान गांधी के बयान — "सावरकर अंग्रेजों के सेवक थे" — पर आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "क्या महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का सेवक कह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पत्रों में वायसराय को 'आपका वफादार सेवक' कहकर संबोधित किया था?" उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राहुल गांधी को ज्ञात है कि इंदिरा गांधी (राहुल की दादी) ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए सावरकर की प्रशंसा करते हुए पत्र लिखा था। न्यायमूर्ति दत्ता ने स्पष्ट किया कि, "आपने एक मजबूत कानूनी तर्क प्रस्तुत किया है, लेकिन आपको स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों से बचना चाहिए। जब आपको भारत के इतिहास या भूगोल का सही ज्ञान नहीं है, तो ऐसे संवेदनशील विषयों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।"

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि सावरकर महाराष्ट्र में पूजनीय हैं, और अकोला जैसी जगहों पर जाकर इस तरह का बयान देना सामाजिक तनाव को भड़का सकता है। उन्होंने कहा, "आप एक राजनीतिक दल के नेता हैं। आपको यह समझना चाहिए कि आपके शब्दों का प्रभाव होता है। अगली बार कोई गांधीजी के बारे में ऐसा कहेगा, तो क्या यह उचित होगा?" हालांकि अदालत ने कार्यवाही पर स्थगन देने पर सहमति जताई, लेकिन यह शर्त रखी कि भविष्य में इस प्रकार का कोई बयान नहीं दिया जाएगा। राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने मौखिक रूप से अदालत को आश्वस्त किया कि गांधी ऐसी कोई टिप्पणी भविष्य में नहीं करेंगे।

यह मामला दिसंबर 2023 में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ा है, जिसमें राहुल गांधी ने सावरकर को 'अंग्रेजों का नौकर' बताया था और दावा किया था कि उन्होंने अंग्रेजों से पेंशन ली थी। इस बयान पर लखनऊ निवासी अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने यह बयान समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाने के इरादे से दिया। लखनऊ की अदालत ने इसे प्रथम दृष्टया गंभीर मानते हुए गांधी को आरोपी के रूप में तलब किया था। इस आदेश के खिलाफ गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन राहत नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

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