'सिंधु जल संधि को स्थगित करना अच्छा कदम, लेकिन ओवैसी ने पानी के भंडारण पर चिंता जताई

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त और निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया है। ओवैसी ने सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवादी संगठनों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नई दिल्ली में केंद्र द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिए गए फैसलों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार को आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार के संकोच से बचना चाहिए और कड़ा कदम उठाना चाहिए।


1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ओवैसी ने कहा, "यह एक साहसिक कदम है, लेकिन सवाल उठता है कि पानी का भंडारण कहां किया जाएगा?" उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, उनका समर्थन रहेगा। ओवैसी ने यह भी साफ किया कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और हित से जुड़ा है। ओवैसी ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत को अधिकार देता है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय कानून हमें पाकिस्तान के खिलाफ आत्मरक्षा में हवाई और नौसैनिक नाकाबंदी करने और हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।"

ओवैसी ने बैसरन मैदान में सुरक्षा प्रतिक्रिया में हुई देरी पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, "बैसरन मैदान में सीआरपीएफ को क्यों नहीं तैनात किया गया? त्वरित प्रतिक्रिया दल को एक घंटे क्यों लगे?" उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों ने जानबूझकर लोगों से उनका धर्म पूछा और उन्हें निशाना बनाया, जो पूरी तरह से सांप्रदायिक हमला था। ओवैसी ने पहलगाम हमले को एक बड़ी खुफिया विफलता बताते हुए सरकार से अपनी निवारक रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने की अपील की। उन्होंने कहा, "यह एक खुफिया विफलता थी। सरकार को उम्मीद है कि आतंकवादियों को सख्त सजा दी जाएगी और पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलेगा।"

सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, किरेन रिजिजू और एस जयशंकर के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्षी नेता राहुल गांधी समेत प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। बैठक में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहने की सहमति बनी, जिसमें सभी दलों ने सरकार के साथ खड़ा होने का संकल्प लिया। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।

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