भ्रष्टाचार मामले में माधबी बुच के खिलाफ महुआ मोइत्रा की लोकपाल को शिक़ायत

लोकसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने वित्तीय अनियमितता को लेकर विवादों में चल रही सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लोकपाल में शिक़ायत दर्ज़ कराई है। मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि माधबी ने चेयरपर्सन रहते हुए अनुचित आचरण किया, और देश के राष्ट्रीय हितों को ख़तरे में डालते हुए भ्रष्टाचार में शामिल हुईं। वहीं, वकीलों का कहना है कि यह शिक़ायत मामले को बड़े पैमाने पर जाँच के दायरे में ला सकती है। इसके साथ ही लोकपाल को शिक़ायत की जाँच करनी होगी, और यह तय करना होगा कि माधबी के ऊपर लगाए गए आरोप भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आते है या नहीं।


महुआ ने शिक़ायत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शुक्रवार को दी। महुआ ने कहा, “माधबी के खिलाफ मेरी शिक़ायत लोकपाल को इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक रूप में दर्ज करायी गयी है। लोकपाल को 30 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच और फिर पूर्ण एफआईआर जांच के लिए इसे सीबीआई/ईडी को भेजना होगा। मामले की जाँच के लिए, इस से जुड़े सभी लोगों को बुलाने और प्रत्येक लिंक की जांच कराए जाने की आवश्यकता है।” मोइत्रा की यह शिक़ायत 11 सितंबर को दर्ज़ की गयी है। इधर, गुरुवार को माधबी मुंबई में हुए एक इन्फ्रा कॉन्क्लेव में बोलने नहीं पहुंची, तो सब उनकी ग़ैर-मौजूदगी से हैरान रह गये। जबकि उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने की पुष्टि भी की थी।

अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी माधबी की चुप्पी पर सवाल उठाए है। रिपोर्ट का कहना है कि जब यह घोटाला शुरू हुआ था उस समय माधबी बाजार रेगुलेटर के सदस्य के रूप में कार्य करती थी। हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडानी समूह पर स्थानीय बाजार नियमों को दरकिनार करने के लिए टैक्स हेवेन (करों से छूट) का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। हिंडनबर्ग ने पिछले महीने आरोप लगाया कि अडानी समूह के खिलाफ धीमी जांच के पीछे माधबी के पिछले निवेश और सौदे हो सकते हैं। इस बीच अडानी का कथित तौर पर स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा फंड के फ्रीज़ होने का मामला सामने आया है। हालाँकि, अडानी ने इस आरोप का खंडन कर दिया है।

कांग्रेस का भ्रष्टाचार को लेकर नया ख़ुलासा

कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर कथित भ्रष्टाचार को लेकर एक और नया ख़ुलासा किया। 9 सितंबर को कांग्रेस पार्टी ने कहा कि महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई, डॉ रेड्डीज, पिडिलाइट, सेम्बकॉर्प और विसु लीजिंग एंड फाइनेंस ने एगोरा एडवाइजरी से कंसल्टेंसी सेवाओं का लाभ उठाया है। गौर करने वाली बात यह है कि माधबी की एगोरा एडवाइजरी में 99 फ़ीसदी तक की कथित तौर से हिस्सेदारी है। कंसल्टेंसी सेवा देने के दौरान माधबी पुरी बुच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्णकालिक निदेशक थीं।

मोइत्रा ने लोकपाल से ऐसे समय में शिक़ायत की है, जब आए दिन माधबी को लेकर नये-नये ख़ुलासे हो रहे है। इतने संगीन आरोपों के बाद भी माधबी के खिलाफ कोई कार्रवाई होती हुई दिख नहीं रही है। वित्तीय मामलों को लेकर सतर्क रहने वाली और विपक्ष के ऊपर जाँच किये जाने को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाली ईडी ने भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।


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