क़ानून पर बुलडोज़र चलाना है ‘बुलडोज़र न्याय’- सुप्रीम कोर्ट

किसी मामले में आरोपित  के घर बुलडोज़र चलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों में दो बार सख़्त रुख अपनाया है। गुरुवार को कोर्ट ने कहा कि देश में क़ानून की प्रधानता है, ऐसे में किसी परिवार में एक सदस्य के अपराध का दंड सभी को नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट की यह टिप्पणी गुजरात के खेड़ा जिले के जावेद अली महबूब मियां सईद की याचिका पर आयी, जिसमें कहा गया है कि नगरपालिका के अधिकारियों ने उनके परिवार के खिलाफ अतिक्रमण का मामला दर्ज़ होने के बाद उनके घर को बुलडोज़र से ध्वस्त करने की धमकी दी है। कोर्ट ने सख़्त लहजे में कहा कि बुलडोज़र चलाकर ‘न्याय’ नहीं, बल्कि क़ानून पर बुलडोज़र को चलाया जा रहा है। मामले की सुनवाई जस्टिस हृषिकेश राय, सुधांशु धूलिया, और एसवीएन भट्टी की पीठ ने की।


ख़बरों के अनुसार, जावेद अली के परिवार के एक सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज़ है। यही कारण है कि अतिक्रमण के बहाने अली के घर को गिराए जाने की तैयारी चल रही है। कोर्ट ने कहा कि जावेद अली के खिलाफ केवल एक मामला दर्ज़ है, और इसे क़ानूनी प्रक्रिया के माध्यम से कोर्ट में साबित होना बाकी है। ऐसे में कोर्ट ने नगरपालिका को आदेश जारी कर कहा कि वह याचिकाकर्ता के घर पर कोई कार्रवाई न करे। इसके साथ ही कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ़्तों में ज़वाब माँगा है।

इससे पहले 2 सितंबर को कोर्ट ने एक अन्य मामले में  सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि किसी व्यक्ति के घर को सिर्फ़ इस आधार पर कैसे गिराया जा सकता है, कि वह किसी मामले में आरोपित  है। किसी व्यक्ति के घर को गिराने की कार्यवाही सिर्फ़ तभी वैध मानी जा सकती है, जब यह प्रमाणित हो जाए कि घर अवैध है। 17 सितंबर को इस मामले पर फिर से सुनवाई होनी है। इस दौरान मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बी आर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले को लेकर सुझाव भी मांगे है, ताकि भविष्य के लिए दिशानिर्देश तैयार किये जा सके।


ग्राम पंचायत की मंजूरी के बाद घर बना


जावेद अली के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का घर कठलाल गाँव में पड़ता है। वहां के राजस्व रिकॉर्ड से अली के ज़मीन मालिक होने की पुष्टि होती है। अगस्त 2004 में ग्राम पंचायत द्वारा पारित एक प्रस्ताव में उस ज़मीन पर घर बनाने की अनुमति दी गई, जहाँ उनके परिवार की तीन पीढ़ियाँ दो दशकों से रह रही है। इसके साथ ही वकील ने सुप्रीम कोर्ट के 2 सितंबर के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें उसने घरों को ध्वस्त करने से पहले दिशानिर्देशों का एक सेट का पालन करने का प्रस्ताव दिया था।


बुलडोज़र एक राजनीतिक हथियार बना


आरोपितों के घरों पर बुलडोज़र चलाने की कार्रवाई को ‘न्याय’ कहने की प्रथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शुरू हुई। सीएम योगी ने बुलडोज़र का इस्तेमाल राजनीतिक रूप से साल 2022 के प्रदेश विधानसभा चुनाव में करना शुरू किया। इसके बाद से बीजेपी शासित राज्यों में भी ‘बुलडोज़र न्याय’ का चलन बढ़ गया। बीजेपी शासित राज्यों पर आरोप है कि उनका ‘बुलडोज़र न्याय’ सिर्फ एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाए जाने के लिए किया जाता है।


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