सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी का निधन, रिसर्च के लिए दान की देह

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया(मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का शुक्रवार को 72 साल की उम्र में निधन हो गया। येचुरी 19 अगस्त से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। सीपीआई(एम) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘कॉमरेड सीताराम येचुरी को सांस की नली में गंभीर संक्रमण हुआ था। डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा हुआ था। येचुरी ने हाल ही में मोतियाबिंद का भी ऑपरेशन कराया था। 


कॉमरेड येचुरी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं होगा। परिजनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनका शरीर रिसर्च के लिए एम्स को दान कर दिया गया है। AIIMS के एनाटोमी विभाग में कॉमरेड येचुरी के शव का  सलेपन (EMBALMING) हो रहा है। रात भर एम्स में रखने के बाद शुक्रवार की शाम को उनका पार्थिव शरीर वसंत कुंज स्थित आवास पर परिजनों के अंतिम दर्शन के लिए ले जाया जाएगा। अगले दिन यानी शनिवार सुबह 11 बजे गोल मार्केट स्थित सीपीएम हेडक्वार्टर में  देश भर से आने वाले उनके दोस्त और पार्टी कार्यकर्ता अंतिम दर्शन करेंगे। शाम को पार्थिव देह को वापस AIIMS लाया जाएगा।

एम्स में भर्ती रहते हुए सीताराम येचुरी ने 22 अगस्त को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने 6 मिनट 15 सेकंड के वीडियो संदेश में कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें एम्स से ही बुद्धो दा के प्रति भावनाएं प्रकट करना और लाल सलाम कहना पड़ रहा है। कुछ समय पहले उनके पुत्र का भी निधन हुआ था।

दो बार राज्यसभा सदस्य रहते हुए कॉमरेड सीताराम येचुरी ने अपनी विद्वता से संसदीय बहसों को गरिमा प्रदान की थी। उन्हें तीसरी बार भी राज्यसभा भेजा जा सकता था, लेकिन उन्होने अपनी पार्टी के नियम के परे जाकर इसे स्वीकार नहीं किया। सीपीआईएम का नियम है कि किसी भी नेता को अधिकतम दो बार राज्यसभा का सदस्य बनाया जाता है।


इमरजेंसी के दौरान गए थे जेल


सीताराम येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हुए। उसके एक साल बाद वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े। साल 1975 में बतौर छात्र नेता उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इमरजेंसी के बाद, उन्हें एक साल (1977-78) के दौरान तीन बार जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया। वह एसएफआई के पहले अध्यक्ष थे जो केरल या पश्चिम बंगाल से नहीं थे। वे आँध्रप्रदेश के थे।

येचुरी को 1984 में सीपीआई(एम) की केंद्रीय समिति के लिए चुना गया था। 1986 में उन्होंने एसएफआई को इसके अध्यक्ष रहते हुए छोड़ दिया। 1992 में सीपीएम की चौदहवीं कांग्रेस में वे पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए। 2005 पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्हें 19 अप्रैल 2015 को सीपीआई(एम) का पांचवां महासचिव चुना गया। अप्रैल 2018 में उन्हें फिर से सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में चुना गया। अप्रैल 2022 में येचुरी ने तीसरी बार सीपीआई(एम) के महासचिव का पद संभाला।


मेरे अच्छे दोस्त थे येचुरी- राहुल


येचुरी के निधन पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि सीताराम येचुरी मेरे अच्छे दोस्त थे। वे भारत के विचार के सच्चे रक्षक थे और देश को अच्छी तरह समझते थे। मैं उनके साथ की गई लंबी चर्चाओं को बहुत याद करूंगा। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि येचुरी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। वे एक अनुभवी सांसद थे और उनका जाना राष्ट्रीय राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।

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