Canada Election 2025: कनाडा में लिबरल पार्टी की ऐतिहासिक वापसी, मार्क कार्नी चौथी बार सत्ता में
कनाडा में हाल ही में हुए आम चुनावों में मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने महत्वपूर्ण जीत हासिल की है, जिससे उनका देश का अगला प्रधानमंत्री बनना लगभग तय हो गया है। यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, जिसमें राजनीतिक समीकरणों से लेकर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और जनमानस के झुकाव तक, अनेक स्तरों पर बदलाव देखने को मिले। कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (CBC) के अनुमानों के अनुसार, लिबरल पार्टी ने संसद की कुल 343 सीटों में सबसे ज्यादा सीटें अपने नाम कर ली हैं। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला है या फिर उन्हें छोटे दलों का सहयोग लेकर सरकार बनानी पड़ेगी।
इस चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान कनाडा को लेकर विवादास्पद बयान दिए। ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की इच्छा जाहिर की और वहां के नागरिकों से आग्रह किया कि वे एक मजबूत नेता को चुनें। ट्रंप के इन बयानों ने कनाडा में तीव्र राष्ट्रवादी भावना को जन्म दिया, जिससे लिबरल पार्टी को अप्रत्याशित समर्थन मिला।
इन टिप्पणियों ने देश की संप्रभुता पर खतरे की घंटी बजा दी, और यही राष्ट्रवाद की लहर मार्क कार्नी के पक्ष में चली गई।
पूर्व न्याय मंत्री डेविड लैमैटी ने चुनावी नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर थी, लेकिन अब हम सरकार बनाने की स्थिति में आ गए हैं। उन्होंने इसे मार्क कार्नी के नेतृत्व और रणनीतिक क्षमता का परिणाम बताया। कार्नी, जो पहले एक केंद्रीय बैंक गवर्नर रह चुके हैं और वैश्विक अर्थनीति के जानकार माने जाते हैं, उन्होंने जनता के बीच भरोसा कायम करते हुए पार्टी को एक बार फिर सत्ता की ओर ले जाने में सफलता पाई।
वहीं दूसरी ओर, कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पॉइलीएवर ने इस चुनाव को पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ जनमत संग्रह का रूप देने की कोशिश की। उन्होंने प्रचार के दौरान मतदाताओं से ‘बदलाव’ के लिए वोट देने की अपील की। ट्रूडो के नेतृत्व में महंगाई, आवास संकट और जीवनयापन की बढ़ती लागत जैसे मुद्दों को उन्होंने प्रमुखता से उठाया। लेकिन ट्रंप की शैली में प्रचार करने और उनके विचारों से जुड़ाव की छवि ने पॉइलीएवर को नुकसान पहुंचाया।
जनता ने विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ एकजुट होकर राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दी और लिबरल पार्टी को फिर से सत्ता सौंपी।
चुनाव प्रचार के दौरान मार्क कार्नी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अमेरिका की ओर से कनाडा की संप्रभुता को चुनौती दी जा रही है, और यह कोई साधारण बयानबाजी नहीं बल्कि गंभीर खतरे का संकेत है। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे कनाडा की स्वतंत्रता, पहचान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए लिबरल पार्टी का समर्थन करें। उनका यह संदेश काफी प्रभावशाली साबित हुआ।
इस बार का चुनाव रिकॉर्ड मतदाता भागीदारी के लिए भी यादगार बन गया। चुनाव अधिकारियों के अनुसार, करीब 7.3 मिलियन कनाडाई नागरिकों ने वोट डाले, जो 2021 के आम चुनाव की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। यह उच्च मतदान दर इस बात का संकेत है कि कनाडा के लोग न केवल देश के भविष्य को लेकर गंभीर हैं, बल्कि वे अपनी लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों को लेकर भी जागरूक हो रहे हैं।
चुनाव परिणामों ने एक बार फिर दिखाया कि बाहरी हस्तक्षेप और उकसावे की राजनीति से जनता का मोहभंग हो रहा है।
कनाडाई नागरिकों ने इस चुनाव में संप्रभुता, स्थिरता और प्रगतिशील नेतृत्व को तरजीह दी है। मार्क कार्नी के उदय ने यह भी दर्शा दिया कि जब जनता को स्पष्ट सोच और नीतिगत मजबूती का विकल्प मिलता है, तो वह विभाजनकारी राजनीति को नकार देती है।
इस चुनावी जीत के साथ, अब ध्यान इस ओर है कि क्या लिबरल पार्टी अकेले बहुमत के साथ सरकार बना पाएगी या फिर उन्हें गठबंधन की राजनीति का सहारा लेना होगा। आने वाले हफ्तों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मार्क कार्नी किस प्रकार अपनी सरकार का गठन करेंगे और कौन-कौन से प्राथमिक क्षेत्र उनकी नीतियों के केंद्र में रहेंगे। एक बात निश्चित है कि कनाडा की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है और इसका असर आने वाले वर्षों तक देश की दिशा और दशा पर पड़ेगा।