पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन पर हार्वर्ड छात्रों ने लिखा अमेरिकी विदेश मंत्री को पत्र, वीजा रद्द करने की मांग

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति समर्थन और उसके बढ़ते रुख ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इस हमले के बाद, पाकिस्तान के इस रवैये को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाएं तेज हो गई हैं। विभिन्न देशों ने पाकिस्तान के समर्थन में खड़े आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की मांग की है। इस बीच, अमेरिका के प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने एक अहम कदम उठाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में छात्रों ने पाकिस्तान के अधिकारियों को अमेरिका में प्रवेश न देने की मांग की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले नेताओं और अधिकारियों को अमेरिका का वीजा देना, मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।


हार्वर्ड केनेडी स्कूल के छात्रों ने अपने पत्र में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा पहलगाम में किए गए नरसंहार की कड़ी निंदा की। छात्रों ने बताया कि इस हमले में आतंकवादियों ने हिंदू समुदाय के लोगों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी थी, और बाद में उनसे कलमा पढ़वाकर उनकी हत्या कर दी। यह हमला केवल एक धार्मिक हत्या नहीं थी, बल्कि यह मानवता पर भी एक गहरा आघात था। छात्रों का कहना था कि यह घटना पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की एक गंभीर और चिंताजनक घटना थी, और यह दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के प्रति कितना सहायक और उत्साही है। इसके अलावा, पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान के नेता और सरकारी अधिकारी कश्मीर में आतंकवादियों और घुसपैठियों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। छात्रों ने विशेष रूप से पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार का नाम लिया, जिन्होंने भारत को धमकी दी थी। छात्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के अधिकारियों का यह रुख अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है।

इसके साथ ही, पत्र में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान के कई वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब भी शामिल हैं, 2025 में होने वाली पाकिस्तान कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी आने वाले हैं। छात्रों ने इस संदर्भ में अमेरिकी सरकार से निवेदन किया कि पाकिस्तान के अधिकारियों का वीजा रद्द कर दिया जाए, ताकि अमेरिका उन लोगों का स्वागत न करे जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं और निर्दोष लोगों की हत्या को बढ़ावा देते हैं। हार्वर्ड के छात्रों ने यह भी उम्मीद जताई कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो, जो हमेशा मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी रहे हैं, उनके इस अनुरोध को गंभीरता से लेंगे और पाकिस्तान के अधिकारियों को अमेरिका में एंट्री देने से रोकने के लिए कदम उठाएंगे। छात्रों का मानना है कि अमेरिका को ऐसे लोगों का स्वागत नहीं करना चाहिए, जो मानवता के खिलाफ कार्य करते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने अचानक पर्यटकों पर हमला कर दिया था। 

आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछने के बाद उन्हें निशाना बनाया और कुल 26 लोगों की हत्या कर दी। यह घटना केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक गहरी चिंता का विषय बन गई। इसके बाद, भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का निर्णय लिया, ताकि पाकिस्तान के आतंकवादियों को दिए जाने वाले समर्थन पर दबाव डाला जा सके। इस पत्र और घटना ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने का रुख अब दुनिया भर में अस्वीकार्य बन चुका है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए और भी अधिक सक्रिय हो रहा है, ताकि वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए और शांति की दिशा में काम करे।

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