असम में भारत विरोधी बयानों पर सख्ती, NSA के तहत गिरफ्तारी तय: मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार, 26 अप्रैल 2025 को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि राज्य में जो भी व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन करता पाया जाएगा, उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह चेतावनी हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले पर कथित भारत विरोधी टिप्पणी करने के आरोप में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधायक अमीनुल इस्लाम समेत 11 लोगों की गिरफ्तारी के बाद सामने आई है।


गुवाहाटी में भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में पंचायत चुनावों के लिए घोषणापत्र जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, "भारत विरोधी बयान देने वाले किसी भी व्यक्ति को एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जाएगा।" इसी दिन, असम पुलिस ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' जैसे नारे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में सैकुट गांव के मोहम्मद मुस्ताक अहमद को गिरफ्तार किया। इसके अलावा, रामनगर के बक्तार हुसैन बरभुइया और मालुग्राम गनीवा के मोहम्मद इमरान हुसैन बोरभुइया को भी पाकिस्तान समर्थक टिप्पणियों के लिए हिरासत में लिया गया। ये सभी दक्षिणी असम की बराक घाटी के निवासी हैं। 

ढिंग विधानसभा क्षेत्र के विधायक अमीनुल इस्लाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ पहलगाम हमले और 2019 के पुलवामा हमले को जोड़ने के आरोप में 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें स्थानीय अदालत ने चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। राज्य के अलावा, पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कार्रवाई तेज हो गई है। असम पुलिस ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर भारत विरोधी टिप्पणियों के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया। त्रिपुरा और मेघालय में भी ऐसी ही टिप्पणियों के चलते कई लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें एक पत्रकार, एक वकील, एक विश्वविद्यालय का छात्र और एक मौलवी शामिल हैं।

नेहरू की 'रणनीतिक भूल' पर तीखा हमला

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री सरमा ने ऐतिहासिक सिंधु जल संधि पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि भारत के इतिहास की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक थी। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए सरमा ने लिखा, "भारत के प्राकृतिक ऊपरी तटीय लाभ के बावजूद, नेहरू ने अमेरिकी प्रशासन और विश्व बैंक के दबाव में आकर सिंधु बेसिन के 80% से अधिक जल संसाधन पाकिस्तान को सौंप दिए। इसके चलते भारत को केवल छोटी पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलुज) तक सीमित कर दिया गया।"

मुख्यमंत्री के अनुसार, इस संधि के चलते आज पाकिस्तान को हर वर्ष 135 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिलता है, जबकि भारत को मात्र 33 एमएएफ। उन्होंने कहा कि इससे पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की पानी से जुड़ी आवश्यकताओं पर भी गहरा असर पड़ा है। सरमा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे भारत को अपनी नदियों पर संप्रभु अधिकार पुनः प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह फैसला न सिर्फ पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा, बल्कि एक नए, आत्मनिर्भर और दृढ़ भारत के उदय का भी प्रतीक बनेगा।

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