केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का निधन, 102 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को निधन हो गया। वे 102 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। परिवार के सूत्रों के अनुसार, अच्युतानंदन का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उनका इलाज तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। वी.एस. अच्युतानंदन को देश के सबसे करिश्माई वामपंथी नेताओं में गिना जाता है। उनका राजनीतिक जीवन लगभग आठ दशक लंबा रहा और वे केरल की राजनीति के एक स्थायी प्रतीक बन गए थे।


गरीबी से उठकर बना वामपंथ की ताक़त अच्युतानंदन

वी.एस. अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को केरल के अलपुझा जिले में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया। जीविका चलाने के लिए उन्हें दर्जी की दुकान और फिर एक कारखाने में काम करना पड़ा। यहीं से उन्होंने श्रमिक आंदोलनों और ट्रेड यूनियन गतिविधियों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1938 में वे कांग्रेस में शामिल हुए, और 1940 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बन गए। वे उन 32 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होकर CPI(M) की स्थापना की थी। वह इन संस्थापक सदस्यों में अंतिम जीवित नेता थे।

अच्युतानंदन 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे। वे 82 वर्ष की उम्र में इस पद को संभालने वाले राज्य के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति थे। इसके अलावा, वे 15 वर्षों तक विपक्ष के नेता भी रहे—यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे राज्य के पहले नेता थे। 2016 से 2021 तक उन्होंने प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उन्हें राज्य कैबिनेट के दर्जे का दर्जा प्राप्त था। 1985 से 2009 तक वह पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे।

मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई निर्णायक कदम उठाए। इनमें मुन्नार में अतिक्रमण हटाने का बड़ा अभियान, लॉटरी माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पूर्व मंत्री आर. बालकृष्ण पिल्लई को भ्रष्टाचार के आरोप में सज़ा दिलाना शामिल है। उन्होंने राज्य में ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर और सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में फ्री सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहित किया, जिससे केरल सूचना तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बना। एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अच्युतानंदन ने कई संघर्ष झेले। उन्हें 5 साल 6 महीने की जेल हुई । 1957 में वह CPI के राज्य सचिवालय के सदस्य बने और 1980 से 1992 तक CPI(M) के केरल राज्य सचिव रहे।

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