'क्या जस्टिस वर्मा आपके दोस्त हैं?' – सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई की कड़ी टिप्पणी

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI)  बी.आर. गवई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा को कड़ी फटकार लगाई। यह वाकया उस समय हुआ जब नेदुम्पारा ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को केवल "वर्मा" कहकर संबोधित किया। 


जस्टिस वर्मा को कहा केवल 'वर्मा'


नेदुम्पारा ने एक रिट याचिका दाखिल कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और कुछ कथित तौर पर मिले नकद की जांच कराने की मांग की थी।जब कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हो रही थी, तभी अधिवक्ता ने जज को संबोधित करते हुए केवल "वर्मा" कहा, जिस पर CJI गवई ने आपत्ति जताते हुए कहा, “क्या जस्टिस वर्मा आपके दोस्त हैं? वे अब भी एक उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश हैं। आप उन्हें इस तरह कैसे संबोधित कर सकते हैं? यदि आप चाहें तो मैं अभी की अभी यह याचिका खारिज कर सकता हूं।”

इस पर नेदुम्पारा ने जवाब दिया कि वह मानते हैं कि याचिका की सुनवाई होनी चाहिए और इस तरह की बातें "महानता" पर लागू नहीं होतीं। इस पर CJI ने सख्त लहजे में कहा, "कोर्ट को आदेश मत दीजिए।" सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी न्यायमूर्ति वर्मा के लिए प्रयोग किए गए शब्दों पर आपत्ति जताई और कहा कि नेदुम्पारा को अब भी यह समझना चाहिए कि जस्टिस वर्मा एक मौजूदा हाईकोर्ट जज हैं और उनके प्रति सम्मानजनक भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

नेदुम्पारा की याचिका में क्या कहा गया है?

नेदुम्पारा ने अपनी याचिका में दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि एक सरकारी आवास से आग लगने के बाद प्लास्टिक की थैलियों में अधजले नोट बरामद किए गए थे। उन्होंने दावा किया कि यह एक बड़े घोटाले की ओर संकेत करता है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि पुलिस ने घटनास्थल से वीडियो और तस्वीरें लीं, लेकिन किसी प्रकार की बरामदगी या अपराध की जानकारी औपचारिक रूप से दर्ज नहीं की गई। उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के के. वीरास्वामी बनाम भारत सरकार फैसले के अनुसार, किसी भी मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए CJI की अनुमति अनिवार्य होती है, और इस मामले में भी वही प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।

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