बेस्वाद भोजन से परेशान यात्री: रेल मंत्री ने खुद मानी पांच साल की 19 हजार शिकायतें

भारतीय रेलवे में सफर करने वाले लाखों यात्रियों के लिए अब ट्रेन में परोसा जाने वाला भोजन एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। बीते पांच वर्षों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं—रेल मंत्रालय को इस अवधि में खाने की खराब गुणवत्ता और स्वादहीनता को लेकर कुल 19,427 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। यह जानकारी शुक्रवार को राज्यसभा में प्रस्तुत की गई, जिसने रेलवे की खानपान सेवाओं को लेकर उठते सवालों को और धार दे दी है। राज्यसभा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद जॉन ब्रिटास द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि वर्ष 2023-24 में ऐसी 7,026 शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि 2024-25 में अब तक (वर्तमान सत्र तक) 6,645 यात्रियों ने भोजन को लेकर आपत्ति जताई है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि शिकायतों में मामूली कमी जरूर आई है, लेकिन यदि हम 2020-21 के आंकड़ों से तुलना करें, जब केवल 253 शिकायतें दर्ज की गई थीं, तो यह वृद्धि चिंताजनक रूप से विशाल है।

बेस्वाद भोजन से परेशान यात्री: रेल मंत्री


रेलवे प्रशासन का दावा है कि अधिकतर शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की गई है। मंत्रालय के अनुसार, 3,137 मामलों में दोषी सेवा प्रदाताओं पर जुर्माना लगाया गया, जबकि 9,627 मामलों में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया। इसके अतिरिक्त, 4,467 मामलों में विक्रेताओं को सुधारात्मक दिशा-निर्देश दिए गए और उन्हें गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने की सख्त हिदायत दी गई। 2,195 शिकायतों को मौके पर ही सुलझा लिया गया, जिससे पता चलता है कि कई बार समस्या का त्वरित समाधान संभव होता है। हालांकि, यह भी हैरानी की बात है कि इतने वर्षों में महज एक ही बार (2021 में) किसी सेवा प्रदाता का लाइसेंस रद्द किया गया।

गुणवत्ता सुधारने के लिए अनेक उपाय किए गए


भारतीय रेलवे की खानपान सेवाओं की निगरानी और प्रबंधन का जिम्मा भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) के पास है। वर्तमान में देश भर में 20 प्रमुख सेवा प्रदाताओं को लंबी दूरी की ट्रेनों, जिनमें वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल है, के लिए भोजन आपूर्ति का ठेका दिया गया है। रेल मंत्री ने बताया कि खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं, जैसे कि बेस किचनों में सीसीटीवी कैमरों की तैनाती, खाद्य सुरक्षा निरीक्षकों की नियुक्ति, ऑनबोर्ड सुपरवाइजर की उपस्थिति, औचक निरीक्षण और नियमित अंतराल पर भोजन के नमूने लेकर उनकी जांच।

लेकिन सवाल यह है कि जब इतने उपाय और निगरानी व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं, तो फिर भी यात्री लगातार खराब खाने की शिकायत क्यों कर रहे हैं? यह विरोधाभास रेलवे की जमीनी व्यवस्था की कमजोरियों की ओर इशारा करता है। आंकड़ों से परे, वास्तविक सुधार तभी दिखेगा जब यात्री खुद अपने अनुभव में सकारात्मक परिवर्तन महसूस करेंगे। रेलवे देश की जीवनरेखा मानी जाती है, और उसका हर अनुभव – चाहे वह यात्रा की सुविधा हो या भोजन की गुणवत्ता आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यात्रियों को उम्मीद है कि यह मुद्दा केवल संसद में उठकर ठंडे बस्ते में नहीं जाएगा, बल्कि रेलवे प्रशासन वास्तविक और स्थायी सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगा।

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