
ग़ज़ा प्रदर्शन याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने कहा- पहले अपने देश के मुद्दों पर फोकस करें
बॉम्बे हाई कोर्ट ने ग़ज़ा के समर्थन में मुंबई में प्रदर्शन की अनुमति न दिए जाने के खिलाफ दायर सीपीआई (एम) की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति रवींद्र वी. घुगे की एकल पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी प्रदर्शन की अनुमति मांगने से पहले "अपने देश के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए" और यह "देशभक्ति नहीं कही जा सकती" कि आप उन विषयों को प्राथमिकता दें जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर घट रहे हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट से माँगी थी प्रदर्शन की अनुमति
17 जून को ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडैरिटी फाउंडेशन (AIPSF) ने मुंबई पुलिस को एक आवेदन देकर ग़ज़ा में चल रहे संघर्ष के विरोध में आज़ाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। पुलिस ने इस अनुमति को अस्वीकार कर दिया, जिसके खिलाफ सीपीआई (एम) ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिका खारिज करते हुए जस्टिस घुगे ने कहा, “CPI(M) को पहले अपने देश के मुद्दों की चिंता करनी चाहिए। आप एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं — आप प्रदूषण, कचरे के ढेर, बाढ़, अवैध पार्किंग और ड्रेनेज जैसे स्थानीय मुद्दों को उठा सकते हैं। लेकिन इसके बजाय आप ऐसे विषयों पर प्रदर्शन कर रहे हैं जो भारत से बहुत दूर हैं।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि CPI(M) ने स्वयं प्रदर्शन की अनुमति के लिए आवेदन नहीं दिया था, इसलिए उसकी याचिका तकनीकी रूप से अवैध है और इसे खारिज किया जाता है।
CPI(M) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने दलील दी कि मुंबई पुलिस ने राजनीतिक पूर्वाग्रह के आधार पर अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि “सिर्फ इसलिए कि यह विदेश नीति के खिलाफ लगता है, कोई भी नागरिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। खासकर जब यह प्रदर्शन उस क्षेत्र में होने वाला हो जिसे पहले से ही सार्वजनिक विरोध के लिए नामित किया गया है।”
हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप देश के सामरिक या राजनीतिक हितों को दरकिनार कर दें।
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