ऋतुराज झा के ‘उपनाम’ पर दी विवादित टिप्पणी को लेकर शहजाद पूनावाला ने माँगी माफ़ी, कहा-’मुझे खेद है!’

 

भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ऋतुराज झा के उपनाम पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। यह विवाद उस समय उभरा जब एक टीवी डिबेट शो के दौरान शहजाद पूनावाला और ऋतुराज झा के बीच तीखी बहस हुई थी। इस शो में ऋतुराज झा ने शहजाद पूनावाला को दो बार 'चूनावाला' कहकर संबोधित किया था, जिस पर गुस्साए हुए शहजाद पूनावाला ने ऋतुराज के उपनाम पर विवादित टिप्पणी की। इस विवाद को आम आदमी पार्टी (आप) ने पूर्वांचली समाज का अपमान बताते हुए इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया। पार्टी ने इस बयान को दिल्ली में होने वाले आगामी चुनावों के संदर्भ में भाजपा के खिलाफ एक राजनीतिक औजार के रूप में पेश करने की कोशिश की। 

दिल्ली में चुनाव के मद्देनजर भाजपा को इस विवाद से नुकसान होने का डर था, क्योंकि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मामलों को लेकर बहुत संवेदनशील मुद्दा बन चुका था। पार्टी की ओर से यह साफ संकेत मिला कि शहजाद पूनावाला को बिना किसी तर्क या शर्त के माफी मांगने को कहा गया। भाजपा के सांसद और पूर्वांचली समाज के बड़े नेता मनोज तिवारी ने भी शहजाद पूनावाला की टिप्पणी की निंदा की और उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का अनुरोध किया। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर थी और पूनावाला से तत्काल माफी की अपेक्षा की गई। 


 माफी मांगने के बाद, शहजाद पूनावाला ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने कहा, "जय श्री राम, नमस्कार। मैं सभी पूर्वांचली भाइयों से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मेरे शब्दों से यदि आपको दुख हुआ है या पीड़ा पहुंची है, तो मैं पूरी तरह से खेद व्यक्त करता हूं। मैं किसी भी प्रकार का तर्क देने की बजाय सिर्फ माफी मांगना चाहता हूं। यूपी और बिहार के मेहनतकश लोगों का मैं गहरा सम्मान करता हूं और यह मेरे जीवन और कार्यों से साफ नजर आता है। फिर भी, अगर मेरे शब्दों से किसी को आहत महसूस हुआ, तो मैं उनसे माफी मांगता हूं।" शहजाद पूनावाला ने अपनी माफी में यह भी कहा कि वह पूर्वांचली समाज के लोगों के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा और सम्मान रखते हैं और उनका दिल से समर्थन करते हैं। उनके मुताबिक, यह गलती अनजाने में हुई थी और वे इस बारे में अधिक सफाई नहीं देना चाहते थे।

 भाजपा प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी किसी भी पूर्वांचली समाज को अपमानित करने का उद्देश्य नहीं रखा था, बल्कि उनका इरादा केवल मुद्दों पर बहस करने का था। इस पूरे मामले ने भाजपा की साख को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे और पार्टी ने इसे जल्दी सुलझाने की कोशिश की थी ताकि आगामी चुनावों में इसका प्रभाव न पड़े। माफी के इस कदम को भाजपा के लिए एक जरूरी राजनीतिक कदम माना गया, जिससे पार्टी को अपनी छवि को सही दिशा में बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

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