'सिर्फ गंध नहीं काफी', चंडीगढ़ कोर्ट ने ड्राइविंग केस में आरोपी को किया बरी

चंडीगढ़ की जिला अदालत ने एक अहम फैसले में शराब के नशे में गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। यह फैसला उस केस में आया है जिसमें आरोपी पर 2019 में चंडीगढ़ के सेक्टर 22/23 लाइट प्वाइंट पर पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारने का आरोप था।


अभियोजन के अनुसार, 9 जून 2019 को अक्षय नामक व्यक्ति ने अपने वाहन (पंजीकरण संख्या PB01A4282) को नशे की हालत में चलाते हुए सेक्टर 22/23 लाइट प्वाइंट पर पुलिस वाहन को टक्कर मार दी थी। घटना के बाद उसे हिरासत में लिया गया और मेडिकल जांच कराई गई, जिसमें डॉक्टर ने शराब के सेवन की पुष्टि की। इसके आधार पर उसके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

गवाह के रूप में पेश सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह ने अदालत में बताया कि वे कांस्टेबल प्रदीप और विपिन के साथ गश्त कर रहे थे जब उन्होंने आरोपी को तेज़ी और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए देखा। आरोपी की कार एक खंभे से टकरा गई थी। पूछताछ के दौरान उसके मुंह से शराब की गंध आ रही थी, लेकिन उन्होंने माना कि वह जांच के समय शराब के प्रभाव में नहीं था।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) सचिन यादव ने अपने फैसले में कहा, “सिर्फ डॉक्टर की सामान्य राय के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि ब्रीथ एनलाइज़र टेस्ट या ब्लड टेस्ट जैसे वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध न हों।” कोर्ट ने यह भी कहा कि शराब की गंध आना अपने आप में यह साबित नहीं करता कि आरोपी नशे की हालत में था। न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष कोई वैज्ञानिक या ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। इस आधार पर अदालत ने आरोपी अक्षय को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

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