
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीसरी बार ठुकराई राहुल की नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर उनकी भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की गई थी। BJP से संबंध रखने वाले याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर इस याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि जब तक नागरिकता से जुड़ी जांच लंबित है, तब तक राहुल गांधी को विदेश यात्रा करने से रोका जाए।
न्यायमूर्ति अत्ताउर रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान याचिका को "मुकदमेबाजी का एक और दौर" बताया और कहा कि इसमें कोई नई या प्रासंगिक सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है, जिससे न्यायालय हस्तक्षेप करे। गौरतलब है कि यह राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर याचिकाकर्ता द्वारा दायर तीसरी याचिका थी। पिछली दो याचिकाओं का निपटारा पहले ही बिना किसी ठोस राहत के किया जा चुका है। वर्तमान याचिका भी दूसरी याचिका के निपटारे के महज चार दिन बाद दायर की गई थी।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि विग्नेश पहले ही इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रतिवेदन दे चुके हैं और मंत्रालय ने जवाब देने के लिए कोई समयसीमा नहीं तय की है, ऐसे में याचिकाकर्ता को धैर्य रखना चाहिए। "जब तक कोई कानूनी रूप से मान्य और विश्वसनीय साक्ष्य हमारे सामने नहीं रखा जाता, हम इस तरह के विवादों में प्रवेश नहीं कर सकते।" – कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने अदालत से फिर वही राय मांगी है, जिस पर पहले ही विचार किया जा चुका है।
याचिकाकर्ता ने यह दावा किया कि उनके पास एक वीडियो है जिसमें राहुल गांधी को ब्रिटेन का पासपोर्ट पकड़े देखा जा सकता है। कोर्ट ने जवाब में कहा कि इस तरह के दावे की जांच के लिए याचिकाकर्ता सूचना के अधिकार (RTI) का सहारा ले सकता है, न कि कोर्ट की शरण। जब विग्नेश ने दावा किया कि गांधी को इस विषय में नोटिस जारी हुआ है, कोर्ट ने पूछा कि यह नोटिस किस अधिकारी ने, किस सामग्री के आधार पर, और किस प्रक्रिया के तहत जारी किया।
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