DPS द्वारका में फीस विवाद चरम पर, 29 छात्रों के निष्कासन के बाद भड़के अभिभावक

दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका में फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों और स्कूल प्रशासन के बीच विवाद और अधिक तीव्र हो गया है। मंगलवार सुबह स्कूल कैंपस के बाहर अफरातफरी का माहौल देखने को मिला, जब कई छात्रों को फीस भुगतान न करने के चलते स्कूल में प्रवेश से रोक दिया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ अभिभावकों ने मुख्य गेट पर विरोध प्रदर्शन किया।


स्कूल प्रशासन ने 9 मई को 29 छात्रों को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया था। प्रशासन ने इसके पीछे दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम (DSEAR), 1973 के नियम 35 का हवाला देते हुए फीस बकाया होना कारण बताया था। लेकिन मंगलवार को जब कुछ छात्रों ने स्कूल में प्रवेश की कोशिश की, तो उन्हें कैंपस में घुसने नहीं दिया गया। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि छात्रों को बिना किसी पूर्व सूचना के स्कूल बसों से जबरन घर वापस भेजा गया। कुछ माता-पिता ने इसे "शर्मनाक" करार दिया और कहा कि उन्हें बच्चों के ठिकाने की जानकारी भी नहीं दी गई।

एक छात्र के माता-पिता ने बताया, “हम तब स्तब्ध रह गए जब स्कूल ने हमारे बच्चों को बस में चढ़ाकर घर भेज दिया, बिना कोई संवाद किए। यह पूरी तरह से असंवेदनशील व्यवहार था।” इससे पहले भी स्कूल पर छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगे हैं। अप्रैल में जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) लक्ष्य सिंघल की अध्यक्षता में बनी आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति ने रिपोर्ट दी थी कि छात्रों को नियमित कक्षाओं में भाग लेने से रोका गया, उन्हें लाइब्रेरी में बैठाया गया, कैंटीन और टॉयलेट तक पहुंच पर निगरानी रखी गई।

इन घटनाओं के बाद दिल्ली सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य निजी स्कूलों में फीस प्रणाली को पारदर्शी और नियंत्रित बनाना है। यह विधेयक जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा और सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा। स्कूल प्रशासन ने फीस बकाया को निष्कासन का उचित कारण बताया है। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पिछले दिसंबर में ही अभिभावकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया था। लगभग 130 छात्रों से 1 लाख रुपये से अधिक की राशि बकाया है। पहले ही 6 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है क्योंकि कुछ छात्र 12वीं पास कर चुके हैं। ऐसे में ये राशि कैसे वसूली जाए?” स्कूल ने यह भी दावा किया कि हाई कोर्ट के आदेश का तोड़मोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। उनके अनुसार, आदेश में कहा गया है कि स्कूल में दाखिल छात्रों के साथ भेदभाव नहीं हो सकता, लेकिन नाम काटे जा चुके छात्रों को स्कूल में प्रवेश देना आदेश का हिस्सा नहीं है।

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