‘21 जून ने महाराष्ट्र की राजनीति की तस्वीर बदल दी’ – बगावत का दिन याद कर बोले शिंदे

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर 2022 की उस राजनीतिक घटना को याद किया, जब उन्होंने शिवसेना में बगावत कर राज्य की राजनीति को नई दिशा दी थी। शिंदे ने इसे "मैराथन योग" बताते हुए कहा कि उसी दिन महाराष्ट्र में असली बदलाव की शुरुआत हुई थी, जिसने राज्य को राजनीतिक स्थिरता और विकास की राह पर डाला। एकनाथ शिंदे ने कहा, "21 जून को हमने एक बड़ा योग किया था, एक मैराथन योग। यह योग मुंबई से शुरू हुआ और इसी के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा परिवर्तन आया। आज हम राज्य के चौतरफा विकास को देख सकते हैं।"


शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को योग को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का श्रेय देते हुए कहा, "अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मैं सभी नागरिकों को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण ही आज संयुक्त राष्ट्र ने योग दिवस को मान्यता दी है। मोदी जी खुद भी प्रतिदिन योग करते हैं, यही उनकी ऊर्जा और नेतृत्व क्षमता का स्रोत है।"  उन्होंने आगे कहा, "मोदी जी के नेतृत्व में देश मजबूत हो रहा है। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है, जिससे देश की सुरक्षा और वैश्विक छवि और सशक्त हुई है।"

एकनाथ शिंदे की यह टिप्पणी उस राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा थी जब उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था। जून 2022 में शिंदे ने पार्टी के बहुमत विधायकों को अपने साथ लाकर महाराष्ट्र में नई सत्ता संरचना की नींव रखी थी। इस बगावत को भारतीय जनता पार्टी और एनसीपी के तत्कालीन नेता अजित पवार का समर्थन मिला। बाद में शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने, जबकि अजित पवार को उपमुख्यमंत्री का पद मिला।

इस घटनाक्रम के बाद शिवसेना और एनसीपी में विभाजन हुआ और चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को "असली शिवसेना" और अजित पवार गुट को "असली एनसीपी" की मान्यता दी गई। वहीं, उद्धव ठाकरे और शरद पवार को क्रमशः "शिवसेना (यूबीटी)" और "एनसीपी (शरद पवार)" के नाम से नई पहचान मिली।

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