
रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर हमले पर भारत ने जताई कड़ी नाराजगी, बांग्लादेश ने दी सफाई
भारत ने बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर में हुई तोड़फोड़ की घटना की कड़ी निंदा की है। नई दिल्ली ने ढाका में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से इस मामले में शामिल कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब इस पूरे मामले पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय का भी बयान सामने आया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि टैगोर को लेकर देश में गहरा सम्मान है और सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा,
"सरकार का ध्यान सिराजगंज जिले में कवि रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़ी एक सरकारी संपत्ति पर हाल ही में हुई कथित घटना की ओर गया है। यह विवाद दरअसल दो आगंतुकों और प्रॉपर्टी के एक रखवाले के बीच हुए टकराव से जुड़ा है, जिसका प्रबंधन देश के पुरातत्व विभाग द्वारा किया जाता है।"
बयान में बताया गया कि घटना के संबंध में 10 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। इसके साथ ही, जिला प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर एक जांच बोर्ड का गठन किया है और मामले की कानूनी प्रक्रिया जारी है।
बांग्लादेश ने यह भी दोहराया कि टैगोर न सिर्फ बंगाल बल्कि देश की सांस्कृतिक और साहित्यिक पहचान के एक अहम स्तंभ हैं।
"बांग्लादेश की सरकार और लोग कवि रवींद्रनाथ टैगोर को अत्यंत सम्मान देते हैं और उनकी साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
मंत्रालय ने यह भी कहा कि टैगोर से जुड़े विषयों पर किसी भी "विभाजनकारी या प्रेरित प्रयास" को बढ़ावा देने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
8 जून को सिराजगंज में टैगोर के पैतृक घर पर भीड़ द्वारा कथित रूप से की गई तोड़फोड़ पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस घटना को "घृणित हमला" बताते हुए कहा था कि
"बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें सुनियोजित तरीके से वहां की समावेशी संस्कृति, सहिष्णुता और ऐतिहासिक विरासत को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।"
भारत ने स्पष्ट किया था कि वह इस घटना को केवल एक मामूली कानून-व्यवस्था का मसला नहीं मानता, बल्कि इसे एक गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौती के रूप में देखता है।
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