महाराष्ट्र चुनाव पर कांग्रेस के आरोपों को चुनाव आयोग ने किया खारिज, कहा- प्रक्रिया पारदर्शी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर हाल ही में एक विपक्षी नेता द्वारा मीडिया में प्रकाशित लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वाचन आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के मुद्दे पहले भी उठाए जा चुके हैं। आयोग ने बताया कि 24 दिसंबर 2024 को इन सभी आरोपों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) को विस्तृत जवाब दिया गया था, जिसकी प्रति आयोग की वेबसाइट पर अब भी उपलब्ध है। इसके बावजूद, उन्हीं मुद्दों को दोहराए जाने के कारण आयोग ने एक बार फिर उन्हें संक्षिप्त रूप से स्पष्ट करना जरूरी समझा। लेख में निर्वाचक नामावलियों (Electoral Rolls) में नाम जोड़ने और हटाने को लेकर कुछ चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। इस पर आयोग ने दो टूक कहा कि भारत का चुनाव कानून किसी भी केंद्रीकृत प्रणाली के जरिए मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की अनुमति नहीं देता।


लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के अनुसार, लगभग एक लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर्स) द्वारा जमीनी स्तर पर सत्यापन के बाद, राज्यभर में फैले 288 ईआरओ (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी) मतदान केंद्र-वार नामावली तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में सभी मान्यता प्राप्त दलों को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित, दावे और आपत्तियों के लिए पर्याप्त समय और सूचना दी जाती है।

आयोग ने बताया कि अगस्त 2024 में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के तहत लगभग एक लाख मतदान केंद्रों की मसौदा और अंतिम मतदाता सूचियों की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी सभी दलों को सौंप दी गई थी।चुनाव आयोग ने लेख में प्रस्तुत आंकड़ों को भ्रामक बताया और उनकी वास्तविक स्थिति इस प्रकार स्पष्ट की, विधानसभा चुनाव 2019 से लेकर लोकसभा चुनाव 2024 तक 1.39 करोड़ नए निर्वाचक जोड़े गए, जबकि 1.07 करोड़ नाम हटाए गए, जिससे कुल 32.25 लाख की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई। लोकसभा 2024 से विधानसभा 2024 के बीच 48.82 लाख मतदाता जोड़े गए और 8 लाख हटाए गए, जिससे 40.81 लाख की शुद्ध वृद्धि हुई। इनमें 26 लाख से अधिक मतदाता 18–29 आयु वर्ग के युवा थे। चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस द्वारा चुनाव परिणाम आने के बाद इन मुद्दों को उठाना दर्शाता है कि चुनाव पूर्व या प्रक्रिया के दौरान कोई आपत्ति गंभीर रूप से दर्ज नहीं कराई गई थी।

आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया कि सिर्फ सांख्यिकीय जनसंख्या अनुमानों के आधार पर मतदाता सूची में नाम जोड़ना या हटाना न तो संभव है और न ही वैधानिक। हर नाम इंडिविजुअल फॉर्म, फील्ड वेरिफिकेशन, और ईआरओ के निर्णय के तहत जोड़ा या हटाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 28,421 बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त किए थे, लेकिन चुनाव परिणाम से पहले कोई गंभीर आपत्ति नहीं उठाई गई। चुनाव आयोग ने दोहराया कि निर्वाचक नामावलियों का वार्षिक पुनरीक्षण एक सहभागी प्रक्रिया है, जिसमें सभी मान्यता प्राप्त दलों को नामावली की मसौदा और अंतिम प्रति निःशुल्क दी जाती है। यही प्रक्रिया 2009, 2014, 2019 और 2024 में अपनाई गई थी।

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