ऑपरेशन सिंदूर पर वडेट्टीवार ने खड़े किए सवाल, बोले - 'जनता को जवाब का अधिकार'
महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक विजय वडेट्टीवार ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक बार फिर विवादास्पद बयान दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। नागपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए वडेट्टीवार ने सरकार से पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा कि इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां जनता के सामने रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई यह सवाल करता है कि यह युद्ध छोटा था या बड़ा, इसमें कितना नुकसान हुआ, और क्या इसमें अमेरिका के दबाव में आकर सहयोग किया गया, तो इसमें गलत क्या है?
वडेट्टीवार ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन में बने 5,000 से 15,000 रुपये कीमत के ड्रोन भेजे गए, जो ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन ड्रोन को गिराने के लिए भारत ने 15 लाख रुपये की मिसाइलें दागीं, और यह जनता के पैसे का उपयोग है, जिस पर सरकार को जवाब देना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस अभियान में राफेल जैसे महंगे विमान तक का इस्तेमाल किया गया, जो और भी सवाल खड़े करता है।
वडेट्टीवार ने केंद्र सरकार से अभियान से जुड़े फैसलों, खर्चों और परिणामों को सार्वजनिक करने की मांग की। उनका कहना था कि जनता का अधिकार है कि वह यह जान सके कि इस अभियान में कितना धन खर्च किया गया और उसका ठोस परिणाम क्या निकला।
यह पहली बार नहीं है जब वडेट्टीवार ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सवाल खड़े किए हों। इससे पहले भी उन्होंने अभियान की प्रभावशीलता और सरकार के इरादों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, "क्या आतंकियों के पास यह पूछने का समय था कि हमला करने वाले का धर्म क्या है?" उनके इस बयान ने पहले भी विवाद खड़ा किया था।
उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शिता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अभियान से जुड़े कई पहलुओं को छिपा रही है, जो कि जनता के विश्वास के साथ धोखा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर क्यों इतने महंगे संसाधनों का इस्तेमाल उन परिस्थितियों में किया गया, जहां कम खर्च में समाधान संभव हो सकता था।
उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।
विपक्षी पार्टियां उनके सवालों का समर्थन करते हुए सरकार पर निशाना साध रही हैं, जबकि भाजपा और सरकार समर्थक लोग इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बताकर विवाद को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। वडेट्टीवार के बयान ने न सिर्फ राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पारदर्शिता के मुद्दों पर एक बार फिर चर्चा शुरू कर दी है।