
BJP का हमला-क्या राहुल गांधी को भारत की छवि पेश करने वालों से परेशानी है?
'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के बाद भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को स्पष्ट करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को प्रमुख साझेदार देशों के दौरे पर भेजा जाएगा। इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के नेता शामिल हैं, जिनमें से एक का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर को सौंपा गया है। थरूर की नियुक्ति को लेकर अब राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि कांग्रेस के अनुसार, उनका नाम पार्टी की ओर से प्रस्तावित नहीं किया गया था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने पार्टी से विमर्श किए बिना थरूर को चुना, जो लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "यह अच्छी परंपरा रही है कि कोई भी सांसद प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने से पहले पार्टी नेतृत्व से अनुमति लेता है। कांग्रेस में होने और कांग्रेस का होने में फर्क है। सरकार ने इस मामले में ईमानदारी नहीं, बल्कि शरारत दिखाई है।"
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने बयान दिया कि कांग्रेस को इससे कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय हित से जुड़ा मामला है। केंद्र सरकार ने हर पार्टी को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है, जो उनकी सकारात्मक सोच को दर्शाता है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक सांसद पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि बताया गया सांसद पाकिस्तान में दो सप्ताह तक रुके थे और उनके परिवार का एक सदस्य वहां स्थित एनजीओ से वेतन ले रहा था। उन्होंने राहुल गांधी से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए ऐसे व्यक्ति को प्रतिनिधिमंडल से हटाया जाए। सरकार द्वारा घोषित सूची में जिन सांसदों को प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सौंपा गया है, उनमें भाजपा के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, द्रमुक की कनिमोई, एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले और कांग्रेस से शशि थरूर शामिल हैं।
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