PM मोदी की सऊदी यात्रा पर ओवैसी का व्यंग्य, बोले- मोहम्मद बिन सलमान से 'या हबीबी' कहेंगे

वक्फ कानून को लेकर देशभर में उठ रहे विरोध के बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा पर तीखा कटाक्ष किया। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित वक्फ कानून विरोधी सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी इस समय सऊदी अरब के दौरे पर हैं, जहां वे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से 'या हबीबी, या हबीबी' कहते हुए गर्मजोशी से मुलाकात करेंगे। लेकिन भारत लौटकर वही प्रधानमंत्री लोगों से कहेंगे कि मुसलमानों को उनके कपड़ों से पहचाना जाए।"

ओवैसी ने वक्फ कानून की आलोचना को दोहराते हुए कहा कि वक्फ संस्थान हर मुस्लिम देश में मौजूद हैं, चाहे वह लोकतांत्रिक व्यवस्था हो या राजशाही। उन्होंने कहा, "भाजपा के एक सांसद ने संसद में दावा किया कि कुछ मुस्लिम देशों में वक्फ का कोई प्रावधान नहीं है, जो कि सरासर झूठ है। मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे मोहम्मद बिन सलमान से पूछें—क्या मदीना वक्फ की ज़मीन पर बना है?"

संविधान और लोकतंत्र पर भी बोले ओवैसी

लोकतंत्र के तीनों स्तंभों—न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका—के बीच शक्तियों के संतुलन को लेकर जारी बहस पर भी ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने 2013 में सर्वसम्मति से पारित वक्फ अधिनियम का हवाला देते हुए कहा, "शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत संविधान की मूल भावना है। यदि सरकार अपने अधिकारों या संविधान के किसी अनुच्छेद का दुरुपयोग करती है, तो न्यायपालिका का हस्तक्षेप न केवल वैध है बल्कि आवश्यक भी है।"  राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उस टिप्पणी पर भी ओवैसी ने तंज कसा जिसमें उन्होंने कहा था कि “संसद सर्वोच्च है।” इसके जवाब में ओवैसी ने कहा, "अगर आप गलत कानून बनाएंगे, तो न्यायपालिका ज़रूर हस्तक्षेप करेगी। लोकतंत्र में तीनों स्तंभ स्वतंत्र हैं, और यही संविधान की बुनियादी संरचना का हिस्सा है।" 

वक्फ कानून के विरोध में आयोजित एक जनसभा में जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सदातुल्लाह हुसैनी ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा, "आज हमने देश को यह स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया है कि यह कानून न केवल मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन है, बल्कि इसका उद्देश्य देश में ध्रुवीकरण और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देना है।" हुसैनी ने यह भी कहा कि सभी प्रमुख मुस्लिम संगठन और संप्रदाय इस कानून के खिलाफ एकजुट हैं और इसे समाप्त कराने के लिए मिलकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि "सुप्रीम कोर्ट इस कानून की संवैधानिकता की समीक्षा करेगा और अंततः इसे असंवैधानिक घोषित करेगा।"

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