Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai ने चेताया: Gen Z प्रदर्शनकारियों में “भेड़ियों” का खतरा

 

विरोध-लहर का प्रसार और राजनीतिक चेतावनियाँ


हाल ही में नेपाल में सरकारी सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ व्यापक Gen Z‑प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों ने भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और अभावित लोकतांत्रिक हालत के विरुद्ध युवा नाराज़गी का स्वरूप पेश किया। इस दौरान एक Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai ने “Beware of wolves”—यानि “भेड़ियों से सावधान”—की चेतावनी दी, यह संकेत देते हुए कि इन शांतिपूर्ण आंदोलनों में कुछ बाहरी तत्व छुपे हुए (infiltrators) हो सकते हैं, जो आंदोलन की ऊर्जा का अपने निजी या राजनीतिक एजेंडे के लिए उपयोग कर सकते हैं।

इस Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai की टिप्पणी ने न केवल राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी, बल्कि युवा प्रदर्शनकारियों के इरादों और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने साफ तौर पर इशारा किया कि कुछ “छलावरण में भेड़िए” आंदोलन को अस्थिर करने का प्रयास कर सकते हैं। यह चेतावनी उस समय आई जब देश में असंतोष चरम पर था और सामाजिक विभाजन गहराता जा रहा था।

हालाँकि मौजूद रिपोर्टों में इस सटीक उद्धरण की पुष्टि नहीं मिली है, पर आलोचनात्मक राजनीतिक विश्लेषण इस संभावित चेतावनी के अनुरूप दिखाई देता है—कि Gen Z‑प्रदर्शन को संरचना और दिशा देने में एजेंडाधारी शख्स शामिल हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai की यह प्रतिक्रिया केवल एक सतर्कता नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत भी हो सकता है, जिससे सरकार और जनता दोनों को यह समझाने की कोशिश की गई कि आंदोलन में सभी आवाजें निर्दोष नहीं हैं।

हिंसा, गिरफ्तारी और लोकतांत्रिक संघर्ष


सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध में युवा—विशेषकर Gen Z—ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। ये विरोध हिंसक मोड़ भी ले गए, जिसमें कम से कम 19 प्रदर्शनकारी मारे गए, कई घायल हुए और संसद भवन, सरकारी कार्यालयों में आग और तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने जल-बंदूक, आंसू गैस, रबर की गोलियाँ और असली गोलियाँ भी चलाईं। विरोध इतना व्यापक हुआ कि अंततः प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा और सरकार में भारी तनाव उत्पन्न हो गया।

इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए एक Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai ने संकेत दिया कि देश को नाजुक दौर से गुजरने से रोकने के लिए युवाओं को शांतिपूर्ण और रचनात्मक संवाद अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर असली नेतृत्व नहीं उभरा, तो आंदोलन को उन लोगों द्वारा हाईजैक किया जा सकता है, जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करना चाहते हैं।

प्रतिबंध हटने के बाद भी प्रदर्शन जारी रहे, क्योंकि युवाओं की मांगें केवल सोशल मीडिया की आज़ादी तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वे भ्रष्टाचार, पारदर्शिता, और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा को लेकर भी मुखर थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Ex‑Nepal PM Baburam Bhattarai की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब युवा नेतृत्व अपने विश्वास और दिशा को लेकर स्पष्ट नहीं है, और यही शून्यता अवसरवादी तत्वों के लिए जगह बनाती है।

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