महाभियोग प्रस्ताव को मिले 50 सांसदों के हस्ताक्षर, क्या अब हटेंगे जस्टिस शेखर?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव के एक पुराने भाषण को लेकर राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया तेज हो गई है। यह भाषण उन्होंने पिछले साल विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिया था, जिसके बाद 13 दिसंबर 2023 को विपक्षी दलों के 54 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा में दिया था। सूत्रों के मुताबिक, अब तक 44 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर की पुष्टि कर दी है। महाभियोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं। राज्यसभा सचिवालय की ओर से मार्च और मई में संबंधित सांसदों को ईमेल और फोन के जरिए संपर्क कर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई थी।


‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, जिन सांसदों से अब तक पुष्टि नहीं मिल सकी है, उनमें वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, सुष्मिता देव, संजीव अरोड़ा, राघव चड्ढा, एन.आर. इलांगो और अन्य शामिल हैं। हालांकि इनमें से कई नेताओं ने पुष्टि की है कि उन्होंने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सचिवालय से सत्यापन के लिए संपर्क नहीं हुआ। कपिल सिब्बल ने कहा, “मैंने ही चेयरमैन को नोटिस सौंपा था, लेकिन उन्होंने मुझसे कभी हस्ताक्षर की पुष्टि नहीं मांगी।” वहीं पी. चिदंबरम ने भी कहा कि उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ, जबकि वह हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल हैं।

राज्यसभा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कुछ हस्ताक्षरों में विसंगतियां पाई गई थीं, जिनमें एक सांसद सरफराज अहमद का नाम दो बार दिखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल एक बार हस्ताक्षर किए थे, जिससे कुल हस्ताक्षर 54 रह गए। प्रक्रिया के तहत, जब तक कम से कम 50 हस्ताक्षरों की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ महाभियोग प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं ले सकते। हालांकि अभी तक इस प्रस्ताव को न खारिज किया गया है और न ही स्वीकृत।

भारत में उच्च न्यायपालिका के किसी जज को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124(4) और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत महाभियोग चलाया जाता है। इसके लिए राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं। प्रस्ताव को दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए। इसके बाद ही राष्ट्रपति द्वारा अंतिम अनुमोदन के साथ जज को पद से हटाया जा सकता है। राज्यसभा सचिवालय अब तक 44 सांसदों की पुष्टि कर चुका है। शेष छह सांसदों से संपर्क किया जा रहा है ताकि तय संख्या पूरी की जा सके।

For all the political updates download our Molitics App : Click here to Download
Article