
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव पर चीन ने जताई चिंता, अमेरिका के कदम की कड़ी आलोचना
ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की हालिया सैन्य कार्रवाई पर चीन ने कड़ा विरोध जताया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस कदम को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि यह हमला पश्चिम एशिया में तनाव को और भड़काने वाला है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। आधिकारिक बयान में चीन ने हमलों की निंदा करते हुए कहा कि वह संकट के समाधान और शांति बहाल करने के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।
विदेश मंत्रालय ने खासतौर पर इज़रायल से तत्काल युद्धविराम की अपील की। यह चीन की इस मुद्दे पर पहली औपचारिक प्रतिक्रिया है। इससे पहले सरकारी प्रसारक और अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका के कदम को "खतरनाक मोड़" बताया था और चेताया था कि यह ईरान-इजरायल संघर्ष को बेकाबू स्थिति में धकेल सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि बी2 स्टील्थ बमवर्षकों और 30 टॉमहॉक मिसाइलों के ज़रिए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान—को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।
हालांकि चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की तीखी आलोचना की है, लेकिन अभी तक उसने ईरान को कोई प्रत्यक्ष सहायता या समर्थन नहीं दिया है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण हो सकता है होर्मुज जलडमरूमध्य पर चीन की भारी निर्भरता। यह जलडमरूमध्य विश्व की लगभग 20% तेल आपूर्ति के लिए अहम है और चीन ईरान से सबसे अधिक समुद्री तेल आयात करता है—लगभग 47%।
ईरान द्वारा होर्मुज को बंद करने की धमकी से चीन की ऊर्जा सुरक्षा पर संकट खड़ा हो सकता है, और यह वजह हो सकती है कि बीजिंग अब तक इस संघर्ष से दूरी बनाए हुए है।
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को होर्मुज जलडमरूमध्य बंद न करने के लिए राज़ी करे। उन्होंने फॉक्स न्यूज से कहा, "मैं बीजिंग से आग्रह करता हूं कि वह ईरानी नेतृत्व से बात करे। चीन की ऊर्जा ज़रूरतें इस जलमार्ग पर निर्भर हैं और इस रास्ते के बंद होने से सबसे ज़्यादा नुकसान उसी को होगा।"
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