
ईरान पर हमले को लेकर फारूक अब्दुल्ला की चिंता- 'मुस्लिम वर्ल्ड की चुप्पी खतरनाक संकेत'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले और इजरायल-ईरान के बीच जारी सैन्य संघर्ष पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने मुस्लिम देशों की चुप्पी को निराशाजनक बताते हुए चेताया कि अगर आज वे नहीं जागे तो भविष्य में उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना होगा।
अब्दुल्ला ने कहा, “मैं इस बात से बेहद निराश हूं कि मुस्लिम वर्ल्ड आज चुप्पी साधे हुए है। आज ईरान इस स्थिति में है, लेकिन कल अमेरिका किसी और मुस्लिम देश को भी निशाना बना सकता है। अगर मुस्लिम देश अब नहीं जागे तो उन्हें जल्द ही अपनी बारी का इंतजार करना होगा।”
उनका यह बयान वैश्विक राजनीति में मुस्लिम देशों की निष्क्रियता और एकजुटता की कमी को रेखांकित करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम देशों को इस संकट की घड़ी में एक साथ आना चाहिए, अन्यथा उन्हें भी इसी तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
ओवैसी ने भी जताई नाराज़गी
इससे पहले एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अमेरिका के हमलों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमें पाकिस्तान से पूछना चाहिए कि क्या वे ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाना चाहते थे? अमेरिका का हमला नेतन्याहू द्वारा गाजा में किए जा रहे नरसंहार से ध्यान भटकाने का जरिया बन गया है। गाजा में नरसंहार जारी है और अमेरिका को इसकी कोई परवाह नहीं है।”
गौरतलब है कि रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए। इसके जवाब में ईरान ने इजरायल के तेल अवीव, हाइफा सहित 10 शहरों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें कई नागरिक घायल हुए। इसके बाद इजरायली सेना (IDF) ने पश्चिमी ईरान में कई सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर जवाबी हमला किया।
ईरान ने अमेरिका की इस कार्रवाई को अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए कड़ी निंदा की है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, जबकि इजरायल और अमेरिका का आरोप है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है।
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