केंद्र पर बरसीं महबूबा मुफ्ती, बोलीं- ऑपरेशन सिंदूर के नतीजे साफ नहीं

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को श्रीनगर स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने हालिया ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक तनाव के बीच सीमा पर हुई घटनाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा सीमावर्ती इलाकों जैसे पुंछ और राजौरी के आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। "मैंने दो मासूम बच्चों की कब्र देखी जो गोलाबारी में मारे गए। लोग टेंट तक के बिना खुले आसमान के नीचे रातें गुजारने को मजबूर हैं। न उनके पास सुरक्षित ठिकाने हैं, न पर्याप्त राहत।"


महबूबा ने सरकार से मांग की कि गोलाबारी में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए और युद्ध प्रभावित क्षेत्रों की आधिकारिक घोषणा की जाए। उन्होंने कहा, "इन क्षेत्रों को युद्धग्रस्त घोषित कर विशेष राहत दी जाए। न केवल जान-माल का नुकसान हुआ है, बल्कि लोगों का मानसिक संतुलन भी प्रभावित हो रहा है।" पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र से यह भी मांग की कि इन इलाकों में रह रहे लोगों के बैंक लोन माफ किए जाएं और चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत किया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग बंकरों की मांग कर रहे हैं, और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 21वीं सदी में भी उन्हें ऐसी बुनियादी सुरक्षा के लिए गुहार लगानी पड़ रही है।

महबूबा मुफ्ती ने युद्ध की वकालत करने वालों को निशाने पर लेते हुए कहा, "जो लोग टीवी चैनलों पर बैठकर युद्ध के नारे लगाते हैं, उन्हें कुछ दिन सीमावर्ती इलाकों में रहना चाहिए। तभी उन्हें युद्ध का असली मतलब समझ आएगा।" उन्होंने कहा कि भारत को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति से सीख लेकर पाकिस्तान से संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बात करते हुए महबूबा ने कहा, "सरकार बताएं कि इस ऑपरेशन से क्या हासिल हुआ? हम आज भी पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों को नहीं पकड़ सके हैं। हमारे लोगों ने अपने ही घरों को कब्रिस्तान में बदल लिया है।" महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के साथ सोशल मीडिया पर चल रही बहस को लेकर कहा कि पीडीपी का रुख स्पष्ट है, हम युद्ध के सख्त खिलाफ हैं और इसका डटकर विरोध करेंगे। प्रोफेसर अली खान महमूद के हिरासत में लिए जाने पर उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "आप एक तरफ प्रतिनिधिमंडल भेजते हैं, दूसरी तरफ अपने ही लोगों को गिरफ्तार करते हैं। इससे गलत संदेश जाता है और भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित होती है।"

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