
इजरायल को घेरने उतरे 22 देश, लेकिन मुस्लिम देशों की गैरमौजूदगी ने खड़े किए सवाल
इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में आतंकवादियों के ठिकानों पर लगातार बमबारी की जा रही है। इस बीच अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद इजरायल ने गाजा में मानवीय सहायता के कुछ रास्तों को आंशिक रूप से खोलने की अनुमति दे दी है। अब तक इन मार्गों को इजरायली सेना ने सुरक्षा कारणों से अवरुद्ध कर रखा था, जिससे वहां खाद्य सामग्री, दवाओं और अन्य ज़रूरी संसाधनों की भारी कमी हो गई थी।
गाजा में मानवीय संकट पर चिंता जताते हुए यूरोप और एशिया के 22 देशों ने इजरायल के खिलाफ साझा बयान जारी किया है। इन देशों ने मांग की है कि गाजा को दी जा रही मानवीय सहायता में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं डाली जाए। हैरान करने वाली बात यह रही कि इस बयान में एक भी इस्लामिक देश शामिल नहीं हुआ, जबकि आम तौर पर इस्लामिक देश फिलिस्तीन के समर्थन में मुखर रहते हैं।
इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में जर्मनी, फ्रांस, जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, इटली, आयरलैंड, आइसलैंड, लिथुआनिया, लातविया, नीदरलैंड, लग्ज़मबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, स्पेन और स्वीडन शामिल हैं।
इन देशों का कहना है कि इजरायल की नाकेबंदी के चलते गाजा में लोग भुखमरी और दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। अस्पतालों में ज़रूरी चिकित्सा आपूर्ति नहीं पहुंच पा रही है, जिससे आम लोगों का जीवन संकट में है।
फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों ने इजरायल को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर गाजा में मानवीय राहत बाधित हुई, तो वे उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर विचार करेंगे। इन देशों ने सैन्य कार्रवाई तत्काल रोकने की मांग भी की है। इन चेतावनियों पर प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यदि पश्चिमी देश गाजा में मदद पहुंचाने की अपनी शर्तें इजरायल पर थोपते हैं, तो इससे हमास को बल मिलेगा। नेतन्याहू ने कहा, "अगर हम मानवीय सहायता बिना शर्त देते हैं, तो हमास भविष्य में और भी शक्तिशाली होकर इजरायल पर हमला करेगा। हम इसे दोहराने नहीं देंगे।
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