महाशिवरात्रि के बाद शिव बारात निकालना यानी काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को चोट पहुँचाना है- अजय राय

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने काशी की पारंपरिक शिव बारात की तिथि बदलने पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इस बार, प्रशासन के दबाव में शिव बारात महाशिवरात्रि के एक दिन बाद 27 फरवरी को निकाली जाएगी, जो काशी की पवित्र और परंपरागत मान्यताओं के खिलाफ है। परंपरा के अनुसार, शिव बारात हर साल महाशिवरात्रि के दिन निकलती है, और यह महोत्सव काशीवासियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। शिव बारात महामृत्युंजय मंदिर, दारानगर से शुरू होकर विभिन्न प्रमुख स्थलों जैसे कि मैदागिन, बुलानाला, चौक, बाबा धाम, गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क तक जाती है। यहां वधू-पक्ष की तरफ से बारातियों का स्वागत किया जाता है, जो माला-फूल और भांग ठंडई से होता है।


 अजय राय ने इस बदलाव पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को चोट पहुँचाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार काशी की परंपराओं से लगातार खिलवाड़ कर रही है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म की सच्ची आस्था और संस्कृति को नुकसान पहुँचाना है। उनके अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिव बारात न निकलवाना, विवाह की परंपराओं के खिलाफ है, और यह पूरी तरह से गलत है। अजय राय ने कहा कि काशी की शिव बारात 43 वर्षों से जारी है, और यह परंपरा काशी के लोगों की आस्था, संस्कृति और पुरानी मान्यताओं को प्रदर्शित करती है। काशी की पहचान यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक आस्थाएँ और पुरातन संस्कृति से है, जो विश्व पटल पर महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसके बावजूद भाजपा द्वारा इन परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह घटना भाजपा के हिंदू धर्म को लेकर फर्जी प्रचार के खिलाफ है, जो असल में सनातन परंपराओं और आस्थाओं से बहुत दूर है। 

 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए लिखा, "सालों से काशी में महाशिवरात्रि के दिन शिव बारात निकलती है। इस बार बारात महाशिवरात्रि के अगले दिन निकाली जाएगी, जो पूरी तरह से गलत है। भाजपा के नेताओं को हमारी आस्था और परंपरा से कोई लेना-देना नहीं है। वे धर्म का नाम लेकर केवल पाखंड फैला रहे हैं। हमें यह जानने का अधिकार है कि वे अब और कितनी परंपराओं को नुकसान पहुँचाएंगे?" इस बीच, महाकुंभ के चलते प्रशासन ने काशी में शिव बारात निकालने की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि वहाँ पर भारी भीड़ और भीड़ नियंत्रण की समस्या थी। प्रशासन का कहना था कि महाकुंभ की भीड़ के कारण इस आयोजन को रद्द करना पड़ा, और अब शिव बारात महाशिवरात्रि के अगले दिन, यानी 27 फरवरी को निकाली जाएगी।

For all the political updates download our Molitics App : Click here to Download
Article