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दुनिया धर्म बदल रही है, भारत धर्म पर कायम है — ईसाई और बौद्ध समुदायों में सर्वाधिक गिरावट

 22 Apr 2025

प्यू रिसर्च सेंटर की ताज़ा ग्लोबल स्टडी से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि धर्मांतरण एक वैश्विक सामाजिक-धार्मिक मुद्दा बन चुका है, खासकर ईसाई और बौद्ध समुदायों में। 36 देशों के 80,000 से अधिक लोगों पर आधारित इस सर्वे से सामने आया है कि कई विकसित देशों में लोग तेजी से अपना जन्मजात धर्म छोड़ रहे हैं और नास्तिकता या किसी अन्य धर्म की ओर आकर्षित हो रहे हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में धर्मांतरण की दर बेहद कम है। भारत में लगभग 99% हिंदू अपने जन्मजात धर्म पर अडिग हैं, जबकि मुसलमानों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। यह धार्मिक स्थिरता पारंपरिक मूल्यों, पारिवारिक संरचना और सामाजिक ताने-बाने की गहराई को दर्शाती है। इसके उलट, अमेरिका जैसे विकसित देशों में धर्मांतरण का चलन अधिक तेज़ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 18% प्रवासी हिंदुओं ने अपने धर्म का परित्याग किया है। इनमें से अधिकांश अब या तो नास्तिक हो चुके हैं या ईसाई धर्म अपना चुके हैं। श्रीलंका में भी 11% हिंदुओं ने अपना धर्म बदला है, हालांकि ये आंकड़े अन्य समुदायों की तुलना में अभी भी काफी कम हैं।

ईसाई धर्म में गिरावट सबसे तीव्र

प्यू सर्वे के मुताबिक, ईसाई धर्म में सबसे अधिक धर्मांतरण देखा गया है। स्पेन में 36% ईसाई युवावस्था में अपना धर्म छोड़ चुके हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा 22% है। ब्रिटेन और फ्रांस में 28%, कनाडा में 29%, जबकि जर्मनी, नीदरलैंड और स्वीडन में लगभग 30% लोग ईसाई धर्म को अलविदा कह चुके हैं। इनमें से अधिकांश लोग अब स्वयं को "नास्तिक" या "धार्मिक रूप से अनिर्धारित" के रूप में पहचानते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन देशों में ईसाई धर्म अपनाने वालों की संख्या बहुत कम है, जिससे इन देशों में ईसाई आबादी में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

बौद्ध धर्म, जिसे अक्सर आत्मिक शांति और ध्यान का प्रतीक माना जाता है, साउथ कोरिया और जापान जैसे देशों में तेजी से कमजोर होता दिख रहा है। दक्षिण कोरिया में लगभग 50% लोग व्यस्क होने के बाद बौद्ध धर्म को त्याग देते हैं। जापान में भी धार्मिक आस्था और सक्रियता दोनों में तेज़ गिरावट देखी गई है। यह प्रवृत्ति बताती है कि आधुनिक पीढ़ी में बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक अपील कमज़ोर हो रही है।रिपोर्ट में यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि जो लोग अपना धर्म बदलते हैं, उनमें अधिकांश युवा, उच्च शिक्षित और पुरुष होते हैं।