दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु बाबा रामदेव की ‘शरबत जिहाद’ टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "गंभीर रूप से अनुचित और सामाजिक सौहार्द के लिए हानिकारक" बताया है। अदालत ने साफ किया कि इस तरह के बयान को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यह टिप्पणी हमदर्द लैबोरेट्रीज़ द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दी गई। याचिका में बाबा रामदेव के उस बयान को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने हमदर्द के प्रसिद्ध उत्पाद ‘रूह अफज़ा’ को लेकर विवादित टिप्पणी की थी।
हाईकोर्ट ने कहा,
"यह बयान न केवल अनुचित है, बल्कि न्यायिक चेतना को भी झकझोरने वाला है। इससे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंच सकता है।"
कोर्ट ने साफ किया कि यह टिप्पणी धार्मिक आधार पर विभाजन को बढ़ावा देती है और इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। हमदर्द की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया:
बाबा रामदेव का बयान हेट स्पीच (घृणा फैलाने वाला भाषण) की श्रेणी में आता है।
यह सिर्फ एक ब्रांड की छवि खराब करने का मामला नहीं है, बल्कि धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है।
ऐसा बयान सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक शांति को सीधा प्रभावित करता है, जिसे किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जा सकता। कोर्ट ने बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील को दोपहर 12 बजे उपस्थित होने का निर्देश दिया और उसी समय मामले की आगे की सुनवाई तय की।
बाबा रामदेव ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान ‘शरबत जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए ‘रूह अफ़ज़ा’ को निशाने पर लिया था। इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।