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"बाल तस्करी गिरोह समाज के लिए खतरा", सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली पुलिस को 4 हफ्ते का समय
21 Apr 2025

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बाल तस्करी के मामले में गंभीर चिंता जताई और कहा कि स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। अदालत ने विशेष रूप से दिल्ली पुलिस को नवजात शिशुओं की अपहरण और तस्करी के मामलों में तत्काल और कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि यह समस्या समाज के लिए बेहद गंभीर है, और इससे न केवल बच्चों के भविष्य को खतरा है, बल्कि यह पूरे समाज की सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि दिल्ली के अंदर और बाहर नवजात शिशुओं को किडनैप करने और उन्हें बेचने वाले गिरोहों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने पुलिस से यह भी जानना चाहा कि इस अपराध में शामिल गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई के लिए क्या रणनीति अपनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चार हफ्ते का समय दिया और उन्हें बाल तस्करी के गिरोह के सरगना और अपहृत शिशुओं का पता लगाने के लिए ठोस कदम उठाने का आदेश दिया। इसके साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस अपनी प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करे।
अदालत ने यह कड़ी टिप्पणी की कि बाल तस्करी से जुड़े गिरोह समाज के लिए एक गंभीर खतरा बने हुए हैं और ऐसे गिरोहों का खात्मा बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "यह अपराध सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बड़ा खतरा है। जब तक इस तरह के गिरोहों पर काबू नहीं पाया जाता, तब तक समाज में भय और असुरक्षा का माहौल बना रहेगा। इन गिरोहों की पहचान और उनके नेटवर्क को तोड़ने की आवश्यकता है।"
अदालत ने यह भी कहा कि यदि किसी लड़की का अपहरण होता है तो उसकी पहचान और उसके बाद की स्थिति का पता आसानी से लगाया जा सकता है, लेकिन नवजात शिशुओं की तस्करी का कोई ठोस रास्ता नहीं होता, जिससे यह मामला और भी जटिल हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई किए बिना स्थिति और भी विकराल हो सकती है।
यह मामला न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में बाल तस्करी की बढ़ती समस्या को उजागर करता है और सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों से इस अपराध को रोकने के लिए व्यापक कदम उठाने का आह्वान किया है।