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'मनमानी नहीं चलेगी' – हाईकोर्ट ने DIG को लगाई फटकार, ₹5 लाख जुर्माने का आदेश

 18 Apr 2025

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक हत्या के मामले में तथ्यों को जानबूझकर छिपाने और न्यायिक आदेशों की अवहेलना के लिए भोपाल के डीआईजी मयंक अवस्थी को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने न केवल उन्हें ₹5 लाख का जुर्माना भरने का निर्देश दिया, बल्कि उनके आचरण को "कानून के विरुद्ध" बताते हुए विभागीय जांच शुरू करने पर भी सवाल उठाए। जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की एकल पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि अवस्थी को देश के कानून की कोई परवाह नहीं है और वह एक पुलिस अधिकारी के तौर पर अपनी मर्जी और इच्छा से काम कर रहे हैं।”


यह मामला दतिया जिले का है, जहां आरोपी मानवेंद्र सिंह गुर्जर ने 2018 में अदालत से आग्रह किया था कि घटना की तारीख और स्थान को लेकर अभियोजन के दावों को कॉल डिटेल रिकॉर्ड के ज़रिए चुनौती दी जाए। कोर्ट ने 7 सितंबर 2018 को आदेश जारी कर मोबाइल नंबरों और सिम की कॉल डिटेल को संरक्षित रखने के निर्देश दिए थे, जो 17 सितंबर को तत्कालीन एसपी अवस्थी को ईमेल द्वारा भेजी गई थीं। हालांकि, कोर्ट में अवस्थी ने दावा किया कि आदेश के समय उनका तबादला हो चुका था और वे रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत नहीं थे। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि यह बयान भ्रामक और तथ्यों को दबाने की कोशिश थी।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अवस्थी का आचरण स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के सिद्धांतों के विरुद्ध है और इससे आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने कहा, “मयंक अवस्थी का आचरण वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मानकों से कहीं नीचे है।” अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) से भी पूछा है कि क्या ऐसे अधिकारियों को पुलिस विभाग में बनाए रखना उचित है। साथ ही, कोर्ट ने अवस्थी से यह भी पूछा कि उनके खिलाफ विभागीय जांच क्यों न शुरू की जाए।

डीआईजी अवस्थी को एक माह के भीतर हाईकोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के समक्ष ₹5 लाख का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया है। समय पर राशि न जमा करने की स्थिति में उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही की जाएगी और अदालत की अवमानना का अलग से मामला भी चलेगा। इसके अतिरिक्त, अदालत ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अवस्थी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करें और यह आदेश उनके सेवा अभिलेख में भी दर्शाया जाए।