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चार पीढ़ियों से रह रहे थे गांव में, अब वक्फ बोर्ड ने कहा- ‘यह जमीन दरगाह की है’

 16 Apr 2025

वक्फ कानून को लेकर देशभर में मचे राजनीतिक तूफान के बीच तमिलनाडु से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। वेल्लोर जिले के अनाईकट्टू तालुक के कट्टुकोलाई गांव में रहने वाले लगभग 150 परिवारों को एक नोटिस थमा दिया गया, जिसमें कहा गया कि उनके पूरे गांव की ज़मीन अब वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गई है। इस नोटिस के बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया और लोगों में गहरी चिंता फैल गई।


क्या है नोटिस का मामला?

यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब सैयद अली सुल्तान शाह नामक व्यक्ति की ओर से एक औपचारिक नोटिस ग्रामीणों को भेजा गया। इस नोटिस में दावा किया गया कि कट्टुकोलाई गांव की ज़मीन एक स्थानीय दरगाह की संपत्ति है, जो वक्फ अधिनियम के तहत आती है। ग्रामीणों को दो विकल्प दिए गए — या तो वे अपनी जमीन खाली कर दें, या फिर दरगाह को हर साल टैक्स का भुगतान करें। चौंकाने वाली बात यह है कि जिन ग्रामीणों को यह नोटिस मिला है, वे कई दशकों से — कुछ तो चार पीढ़ियों से — इस भूमि पर रह रहे हैं और यहीं खेती करके अपनी रोज़ी-रोटी चला रहे हैं। ज़मीन को लेकर उनके पास राजस्व विभाग के वैध दस्तावेज, पट्टे और अन्य सरकारी रिकॉर्ड भी मौजूद हैं, जो यह साबित करते हैं कि यह ज़मीन उनके कब्जे में लंबे समय से है।

नोटिस मिलने के बाद कट्टुकोलाई गांव में दहशत फैल गई। लोगों ने आशंका जताई कि कहीं उन्हें ज़बरदस्ती बेदखल न कर दिया जाए। इसी डर के चलते गांव के कई लोग कलेक्टर के कार्यालय पहुंचे और उनसे सुरक्षा की मांग की। उनका कहना है कि खेती ही उनकी एकमात्र जीविका का साधन है, और अगर उन्हें वहां से हटा दिया गया, तो वे सड़क पर आ जाएंगे। ग्रामीणों को कलेक्टर के पास लेकर पहुंचे महेश नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि गांव की ज़मीन को सर्वे नंबर 330/1 के तहत वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है, जबकि ग्रामीणों के पास उस ज़मीन से संबंधित वैध दस्तावेज मौजूद हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब तमिलनाडु में वक्फ संपत्ति को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। इससे पहले भी राज्य में चोल वंशकालीन एक 1500 साल पुराने मंदिर समेत लगभग 480 एकड़ ज़मीन पर वक्फ बोर्ड द्वारा दावा किया गया था। उस मामले में भी स्थानीय लोगों से कहा गया था कि वे वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लिए बिना अपनी संपत्ति बेच या स्थानांतरित नहीं कर सकते। यह मामला इतना गंभीर था कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान उठाया था। उन्होंने कहा था कि इस प्रकार की घटनाएं न सिर्फ़ संविधान के अधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह सामाजिक समरसता को भी प्रभावित करती हैं।

बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब यह कानून का रूप ले चुका है। हालांकि, इस कानून को लेकर देशभर में विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं और कई संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विरोध करने वालों का मानना है कि इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिल गई हैं, जिसके कारण आम नागरिकों की संपत्ति को बिना पर्याप्त प्रमाण के वक्फ घोषित किया जा सकता है।