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वक्फ संशोधन को बताया असंवैधानिक, कांग्रेस विधायक ने सुप्रीम कोर्ट से की हस्तक्षेप की मांग

 11 Apr 2025

मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मसूद ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। मसूद ने यह याचिका व्यक्तिगत हैसियत में दाखिल की है और उनका कहना है कि नए कानून के कई प्रावधान मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि यदि संशोधन आवश्यक हो, तो उसे सभी पक्षों को साथ लेकर नए सिरे से किया जाए।


मीडिया से बातचीत करते हुए आरिफ मसूद ने कानून में की गई संरचनात्मक बदलावों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, "वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से 12 को गैर-मुस्लिम बना देना पूरी प्रक्रिया को ही संदेहास्पद बना देता है। जब वक्फ की संपत्तियां मुस्लिम समुदाय की दी गई अमानत हैं, तो इस पर फैसला लेने वालों में मुस्लिम बहुलता क्यों नहीं होनी चाहिए?" उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई याचिका को तथ्यों और मजबूत तर्कों पर आधारित बताया। याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा के माध्यम से दाखिल की गई है।

विधायक मसूद ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्रावधानों को "जनता में भ्रम फैलाने वाले" बताया। उन्होंने स्पष्ट किया, "इस कानून में कहीं यह नहीं कहा गया है कि एक वक्फ प्रॉपर्टी को किसी दूसरे को दे दिया जाएगा। लेकिन इसे लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। हमारा मकसद सिर्फ सच को सामने लाना है, और हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है।" 

आरिफ मसूद ने इस कानून के विरोध में पहले भी कई मंचों से आवाज़ उठाई है। हाल ही में भोपाल के सेंट्रल लाइब्रेरी मैदान में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन में उन्होंने कहा था, "वक्फ की जमीनें किसी राजा या नवाब की नहीं, बल्कि अल्लाह की राह में दी गई अमानत हैं। इन्हें छीनने की कोशिश नाजायज है। हम आख़िरी दम तक अल्लाह के कानून की हिफाजत करेंगे।" आरिफ मसूद की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका से स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन कानून को लेकर कानूनी और सामाजिक विवाद तेज़ होता जा रहा है।