Article

Jammu Kashmir: विधानसभा में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन, वक्फ संशोधन कानून बना विवाद की जड़

 07 Apr 2025

जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सोमवार का सत्र भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया। जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के विधायकों ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद विपक्षी विधायकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सदन के वेल में पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान एनसी के विधायकों ने "वक्फ बिल नामंज़ूर" के नारे लगाए और एक विधायक ने विरोधस्वरूप विधेयक की कॉपी फाड़कर हवा में उड़ा दी। वहीं, सत्ताधारी बीजेपी के विधायकों ने स्पीकर के निर्णय का समर्थन करते हुए मेज थपथपाकर उसका स्वागत किया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें विधानसभा का दृश्य काफी अशांत नजर आता है।

स्पीकर ने नियमों का दिया हवाला

विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने स्पष्ट किया कि स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार करने का निर्णय नियमों के तहत लिया गया है। उन्होंने कहा, "नियम 56 और नियम 58 के उपनियम 7 के अनुसार, जो मुद्दे न्यायालय में विचाराधीन हैं, उन पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। वक्फ अधिनियम से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, और मेरे पास इस संबंध में दस्तावेज भी मौजूद हैं। इसलिए मैं इस पर स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा की अनुमति नहीं दे सकता।"

इस मुद्दे पर पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "यह बेहद निराशाजनक है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर ने वक्फ विधेयक पर चर्चा को खारिज कर दिया। सरकार मजबूत जनादेश के बावजूद भाजपा के मुस्लिम विरोधी एजेंडे के आगे झुक गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस को तमिलनाडु की सरकार से सीख लेनी चाहिए, जिसने वक्फ कानून का मजबूती से विरोध किया है।" महबूबा ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर देश का एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य है, और वहां ऐसी गंभीर धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं से जुड़े मुद्दे पर बहस तक की अनुमति न मिलना बेहद चिंताजनक है।

कांग्रेस विधायक इरफान हफीज लोन ने भी इस मुद्दे पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, "यह संविधान, लोकतंत्र और कानून के शासन का घोर उल्लंघन है। केवल बहुमत होने से लोकतंत्र नहीं चलता, बल्कि संवाद और विश्वास जरूरी होता है। सरकार ने हमारी भावनाओं की अनदेखी की है। यह संघवाद और धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है। हम ऐसी विचारधारा के खिलाफ देशभर में आंदोलन चलाएंगे।"