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चीन से व्यापार घाटे पर बरसे ट्रंप, बोले- जब तक संतुलन नहीं, तब तक समझौता नहीं

 07 Apr 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ जारी टैरिफ युद्ध में पीछे हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। अमेरिका के भीतर ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जापान और दक्षिण कोरिया के शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है, और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने वैश्वीकरण के खिलाफ बयान दिया है—इन सबके बीच ट्रंप ने दो टूक कहा है कि जब तक अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा समाप्त नहीं हो जाता, तब तक कोई व्यापार समझौता नहीं किया जाएगा।


ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा, "हमें चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को खत्म करना होगा। हर साल हम चीन से सैकड़ों अरब डॉलर का घाटा झेलते हैं। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होता, मैं किसी तरह की डील नहीं करूंगा।" उन्होंने आगे कहा, "मैं डील के लिए तैयार हूं, लेकिन चीन को पहले अपने व्यापारिक सरप्लस को संतुलित करना होगा।"

चीन के पक्ष में रहा है ट्रेड बैलेंस

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार संतुलन लंबे समय से चीन के पक्ष में रहा है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग 295.4 बिलियन डॉलर रहा। चीन से अमेरिका में भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कपड़े और उपभोक्ता वस्तुएं निर्यात की जाती हैं, जबकि अमेरिका चीन को मुख्य रूप से सोयाबीन, तेल, विमान और कुछ उच्च तकनीकी उत्पाद निर्यात करता है।

ट्रंप का नया टैरिफ प्लान और असर

ट्रंप ने हाल ही में चीन से आयात होने वाली सभी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे पहले 20% टैरिफ लगाया गया था, यानी अब कुल मिलाकर 54% तक टैरिफ बढ़ चुका है। इस कदम का असर यह हुआ है कि चीनी सामान अमेरिकी बाजार में महंगे हो गए हैं, जिससे आम अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर भी असर पड़ा है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 10 अप्रैल से प्रभाव में आएगा। इस टैरिफ वॉर का सीधा असर वैश्विक बाजारों पर देखने को मिल रहा है—चीन, जापान और कोरिया के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ अमेरिका को बहुत बड़ा ट्रेड डेफिसिट झेलना पड़ रहा है। इसका एकमात्र समाधान टैरिफ है, जो अब अमेरिका के खजाने में अरबों डॉलर ला रहा है। यह पहले से ही असर दिखा रहा है और यह हमारे लिए एक 'सुंदर चीज़' है।" हालांकि चीन ने अमेरिका की इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन बताया है और कहा है कि यह चीन के वैध अधिकारों के खिलाफ और एकतरफा धमकाने वाला रवैया है।