केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर छापा मारा। यह छापेमारी ऐसे समय में हुई जब बघेल दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली बैठक में शामिल होने वाले थे। भूपेश बघेल के कार्यालय ने इस छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि वह 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में प्रस्तावित एआईसीसी बैठक के लिए गठित "ड्राफ्टिंग कमेटी" की बैठक में भाग लेने दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही सीबीआई की टीम रायपुर और भिलाई स्थित उनके आवासों पर पहुंच गई।
इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता इससे डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेश बघेल को पंजाब का पार्टी प्रभारी बनाए जाने के बाद से भाजपा घबराई हुई है। पहले उनके आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) भेजा गया और अब सीबीआई को भेज दिया गया। उन्होंने कहा,
"जब भाजपा राजनीतिक रूप से लड़ने में विफल हो जाती है, तो वह विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करती है।"
महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप घोटाला और ईडी की कार्रवाई
महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले ही ₹2,295 करोड़ की संपत्ति जब्त, कुर्क और फ्रीज कर चुकी है। इससे पहले, 10 मार्च को कथित शराब घोटाले में दुर्ग जिले में 14 स्थानों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के आवास भी शामिल थे।
छापेमारी के बाद बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि उनके घर से 33 लाख रुपये नकद मिले हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह राशि उनकी खेती, डेयरी और पारिवारिक बचत से हुई आय है।
ईडी के अनुसार, शराब घोटाले में दोषी लोगों ने ₹2,100 करोड़ की अवैध कमाई की, जिससे राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। सीबीआई की इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है, जबकि भाजपा इसे कानूनी कार्रवाई बता रही है।