Article

UTTARAKHAND: कर्मकार कल्याण बोर्ड का कारनामा, बिना सरकार की अनुमति के ख़र्च कर दिए 607 करोड़ रुपये

 22 Feb 2025

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक कुल 607 करोड़ रुपये सरकार की स्वीकृति के बिना खर्च कर दिए। यह जानकारी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में सामने आई है, जिसने इन खर्चों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गुरुवार को विधानसभा में पटल पर पेश की गई यह रिपोर्ट 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई थी। कैग रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा गया कि कर्मकार बोर्ड ने सरकार की अनुमति के बिना इस बड़ी राशि का उपयोग किया और विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त उपकर का सही आकलन करने के लिए कोई ठोस तंत्र भी विकसित नहीं किया गया।


 रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय लेखे की भी समीक्षा की गई और कई विभागों के बजट खर्च के तरीकों पर सवाल उठाए गए। खासकर आहरण वितरण को गलत पाया गया, जिसके चलते सरकारी विभागों में एक बड़ी धनराशि का गलत तरीके से वितरण हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न विभागों के आहरण वितरण अधिकारियों (डीडीओ) ने 788 करोड़ रुपये अपने निजी खातों में ट्रांसफर किए, जिसका परिणाम यह हुआ कि कई योजनाओं के लिए समय पर धनराशि का उपयोग नहीं किया जा सका। इसके अलावा, कोषागारों द्वारा धनराशि का मिलान नहीं कराया गया और वित्तीय साधनों का गलत वर्गीकरण भी पाया गया।

 कैग रिपोर्ट के मुताबिक, जहां एक ओर विभागों द्वारा दिए गए आंकड़े और वर्तमान स्थिति में बड़ा अंतर सामने आया, वहीं रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित कई बिंदुओं का भी विश्लेषण किया गया है। उदाहरण के तौर पर, इस रिपोर्ट में राज्य के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों का जिक्र किया गया है, जबकि आज राज्य में पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। रिपोर्ट में दून मेडिकल कॉलेज के निर्माण की देरी का भी उल्लेख किया गया था, जबकि अब वहां पीजी कक्षाएं चल रही हैं और मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा हो चुका है। इस अंतर को लेकर राज्य सरकार और विभाग के बीच गंभीर समीक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

 इस तरह, कैग की रिपोर्ट में सरकार की कई योजनाओं और गतिविधियों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। इन रिपोर्टों में समय पर कार्रवाई न होने और वित्तीय संसाधनों के गलत उपयोग पर स्पष्ट तौर पर सवाल उठाए गए हैं, जिससे भविष्य में सुधार की दिशा में गंभीर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।