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अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 4200 भारतीयों पर संकट, ED कर रही जांच

 07 Feb 2025

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीयों को बुधवार को भारत वापस भेज दिया गया। इन निर्वासित भारतीयों को लेकर एक सैन्य विमान अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा। इनमें 25 महिलाएं, 12 नाबालिग और 79 पुरुष शामिल थे। निर्वासित लोगों में 33 गुजरात, 30 पंजाब, दो उत्तर प्रदेश, दो चंडीगढ़ और तीन महाराष्ट्र से थे। चौंकाने वाली बात यह रही कि इन लोगों को हाथ-पैरों में जंजीर बांधकर भेजा गया, जिसे लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। हालांकि, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ।


अवैध प्रवास पर ईडी की बड़ी कार्रवाई— 4200 संदिग्ध लेनदेन जांच के घेरे में

गुरुवार को संसद में इस मुद्दे पर गरमागरम बहस के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया कि वह 4,200 भारतीयों की जांच कर रहा है, जिन पर पिछले तीन वर्षों में अवैध रूप से अमेरिका जाने का संदेह है। जांच में गुजरात और पंजाब स्थित एजेंटों के खिलाफ 4,000 से अधिक संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। ये एजेंट विभिन्न मार्गों से भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका भेजते थे। ईडी की जांच में सामने आया है कि एजेंट अवैध अप्रवासन के लिए शिक्षा प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे थे। अमेरिका जाने के इच्छुक भारतीयों को पहले कनाडा के कॉलेजों में प्रवेश दिलाया जाता था। इसके आधार पर उन्हें कनाडा का वीजा मिलता था, लेकिन वे कभी कॉलेज नहीं जाते थे। इसके बजाय, कनाडा में मौजूद एजेंटों की मदद से वे ज़मीन के रास्ते अमेरिका में प्रवेश कर जाते थे।

कनाडा के कॉलेजों के नाम पर करोड़ों का संदिग्ध लेनदेन

ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा स्थित कॉलेजों को फीस का भुगतान एबिक्सकैश नामक वित्तीय सेवा कंपनी के माध्यम से किया गया, जो विदेशों में पैसे भेजने की सुविधा प्रदान करती है। जांच में पता चला कि 7 सितंबर 2021 से 9 अगस्त 2024 के बीच गुजरात के छात्रों की ओर से कनाडा के विभिन्न कॉलेजों में 8500 से अधिक लेनदेन किए गए। इनमें से 4,300 डुप्लिकेट लेनदेन थे, जो दर्शाते हैं कि एक ही व्यक्ति के नाम से दो बार लेन-देन दर्ज किया गया था। ईडी अधिकारियों को संदेह है कि ये फर्जी ट्रांजैक्शन कनाडा के माध्यम से अवैध रूप से अमेरिका भेजने के लिए किए गए थे।

कठिन वित्तीय प्रक्रिया से बचने की रणनीति

ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि एजेंटों ने अवैध प्रवासियों के वित्तीय लेन-देन को छिपाने के लिए एक जटिल संरचना तैयार की थी। पहले संभावित अप्रवासी के लिए एक बैंक खाता खोला जाता, जिसमें कॉलेज प्रवेश शुल्क के भुगतान के लिए पैसे जमा किए जाते। फिर इस राशि को सावधि जमा (एफडी) में डालकर, उसके आधार पर ओवरड्राफ्ट खाता खोला जाता। इसके बाद एबिक्स के जरिए कनाडा के कॉलेजों को फीस भेजी जाती। जब अप्रवासी कनाडा पहुंच जाता, तो प्रवेश वापस ले लिया जाता और पैसा ओवरड्राफ्ट खाते में लौट आता। फिर यह राशि किसी तीसरे व्यक्ति को ट्रांसफर कर दी जाती और ओवरड्राफ्ट खाता बंद करने के लिए एफडी का उपयोग कर लिया जाता।

ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग से बचने की चाल

ईडी सूत्रों के अनुसार, इस जटिल वित्तीय प्रणाली को अपनाने का मकसद बैंकिंग ट्रैकिंग से बचना था। ओवरड्राफ्ट खातों के इस्तेमाल से संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों की रिपोर्ट बनने से रोका गया, जिससे जांच एजेंसियों को इन पर शक न हो। एबिक्स जैसे भुगतान गेटवे का उपयोग इसलिए किया गया ताकि बैंक खातों में हो रही बड़ी रकम की आवाजाही पर नजर रखने से बचा जा सके। ईडी ने इस मामले की जांच जनवरी 2023 में गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। अब जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है और इसमें शामिल एजेंटों की पहचान की जा रही है।