कई सालों की कोशिशों और कूटनीतिक प्रयासों के बाद, भारत और चीन के रिश्ते अब धीरे-धीरे सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं। हालांकि, इस बीच चीन ने अपनी गतिविधियों को लेकर फिर से चिंता बढ़ा दी है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA), यानी चीनी सेना, ने सीमा के पास स्थित चौकियों पर बिजली आपूर्ति बढ़ा दी है, खासकर उन इलाकों में जो उच्च ऊंचाई वाले और कठिन परिस्थितियों वाले हैं।
पीएलए डेली ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट किया कि चीन के झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के जाइदुल्ला और तिब्बत के न्गारी प्रांत में स्थित सीमा चौकियों को अब पूरी तरह से राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से जोड़ा गया है। इससे चीन ने अपनी सीमा चौकियों का इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत किया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन चौकियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा ने सैनिकों को सर्दियों में गर्म रखने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके लिए अन्य जरूरी सुविधाएं जैसे पीने का पानी, हीटिंग, स्नान और ऑक्सीजन तक पहुंच को बेहतर बनाने में मदद की है।
चीन के लिए यह कदम अपनी सीमा सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के प्रयासों का हिस्सा है। यह पहल चीनी सेना की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अपने सैनिकों को कठिन परिस्थितियों में बेहतर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करना है। 2016 के अंत में, चीन ने सेना के लिए एक विशेष बिजली ग्रिड बनाने और इसे राष्ट्रीय ऊर्जा नेटवर्क से जोड़ने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस पहल के तहत, पिछले साल तक 700 सीमा चौकियों को राष्ट्रीय ऊर्जा ग्रिड से जोड़ दिया गया था। इसके कारण सैनिकों को अब एक स्थिर और कुशल बिजली आपूर्ति मिल रही है, जिससे उनकी इमरजेंसी रिस्पॉन्स क्षमता में भी सुधार हुआ है।
जैदुल्ला, जो लगभग 3,700 मीटर (12,139 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, चीन और भारत के बीच एक रणनीतिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह इलाका अक्साई चिन के पास स्थित है, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद का केंद्र रहा है।
2020 में, इसी क्षेत्र में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भयंकर संघर्ष हुआ था, जिसमें कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, और चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी, हालांकि चीन ने मृतकों की संख्या का खुलासा नहीं किया था। इस संघर्ष के बाद, दोनों देशों के बीच कई और बार सीमा पर तनाव बढ़ा और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं, जिससे द्विपक्षीय रिश्तों में और अधिक तनाव आया।
हालांकि, दोनों देशों के बीच हाल ही में कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं का दौर जारी है, जिसमें दोनों पक्षों ने समझौतों और समझदारी के आधार पर स्थिति को शांत करने की कोशिश की है। इसके परिणामस्वरूप, अब दोनों देशों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए सहमति बनी है, जो इस साल से शुरू हो रही है। यह पहल न केवल दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का संकेत है, बल्कि इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है कि दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझाने और सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, चीन की इस गतिविधि से यह भी स्पष्ट होता है कि वह अपनी सीमाओं के पास स्थित क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
इसके साथ ही, इस कदम से यह भी प्रदर्शित होता है कि चीन अपनी सैन्य तैयारी को और सुदृढ़ करने के लिए नई तकनीकी और ऊर्जा संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है।
भारत और चीन के बीच जारी कूटनीतिक बातचीत और सैन्य स्तर की वार्ता के बावजूद, दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कभी-कभी बढ़ जाता है, जिससे रिश्तों में उतार-चढ़ाव आता रहता है। फिर भी, दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के प्रयासों को देखते हुए, उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में सीमा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकल सकता है और दोनों देशों के संबंधों में और सुधार हो सकता है।