बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बंगाल नेशनल पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष, खालिदा जिया को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया। वर्ष 2018 में खालिदा जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था और 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. सैयद रेफात अहमद की अध्यक्षता में पीठ ने सुना और उन्हें बरी कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला बदले की भावना से प्रेरित था।
वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) ने खालिदा जिया और उनके राजनीतिक सचिव सहित अन्य तीन लोगों के खिलाफ तेजगांव पुलिस थाने में मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ट्रस्ट के लिए अज्ञात स्रोतों से धन जुटाने के लिए सरकारी शक्ति का दुरुपयोग किया। इसके बाद 8 फरवरी 2018 को ढाका की विशेष अदालत ने खालिदा जिया को पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले में उनके बेटे तारिक रहमान और पूर्व मुख्य सचिव कमालुद्दीन सिद्दीकी समेत अन्य आरोपियों को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा, उन पर 2.1 करोड़ टका का जुर्माना भी लगाया गया था। अभी भी तारिक रहमान, कमालुद्दीन सिद्दीकी और जियाउर्रहमान के भतीजे मोमिनुर रहमान फरार हैं।
खालिदा जिया ने फैसले के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में अपील की थी, और फिर 30 अक्तूबर 2018 को न्यायमूर्ति एम इनायतुर रहीम और न्यायमूर्ति एमडी मुस्तफिजुर रहमान की पीठ ने उनकी सजा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया। इस समय उनकी अपील कानूनी प्रक्रिया में फंसी रही, क्योंकि वकीलों की ओर से पहल नहीं की जा रही थी। कई वर्षों तक मामला लटका रहा, और अंततः 11 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर ली। इस दौरान अदालत ने हाईकोर्ट की 10 साल की सजा पर रोक लगा दी। सुनवाई पूरी होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया और सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
खालिदा जिया अब इलाज के लिए लंदन गई हैं। वह मार्च 1991 से मार्च 1996 और फिर जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। उनकी राजनीतिक यात्रा और न्यायालयिक घटनाक्रमों ने बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ लाया है।