दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी (AAP) को समर्थन देने की वजह तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट करते हुए बताया है कि यह निर्णय INDIA गठबंधन की प्रारंभिक बैठकों में ही लिया गया था। ममता बनर्जी की पार्टी ने यह साफ किया कि यह तय किया गया था कि भाजपा के खिलाफ जो पार्टी जहां मजबूत होगी, वहां वह भाजपा का मुकाबला करेगी। तृणमूल कांग्रेस के नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने इस फैसले का पक्ष रखते हुए कहा कि "जब INDIA गठबंधन का गठन हुआ था, तो यह सहमति बनी थी कि जहां भी क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां वे भाजपा का मुकाबला करेंगे। जैसे तमिलनाडु में डीएमके, झारखंड में झामुमो, और दिल्ली में आम आदमी पार्टी। दिल्ली में भाजपा को हराने के लिए सबसे मजबूत विकल्प आम आदमी पार्टी है।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर तृणमूल कांग्रेस भाजपा को हराने की दिशा में अपना समर्थन नहीं देती, तो यह कांग्रेस की मदद करने के बजाय भाजपा की मदद करने जैसा होगा।
इसीलिए तृणमूल कांग्रेस ने AAP को अपना समर्थन देने का निर्णय लिया।
ममता बनर्जी के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं जैसे समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव और शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी इस समर्थन का खुलकर समर्थन किया है। अखिलेश यादव ने तो एक बार आम आदमी पार्टी की रैली में भी हिस्सा लिया था और यह कहा था कि वह फिर से AAP के साथ मंच साझा करने के लिए तैयार हैं। उनका यह मानना है कि दिल्ली में भाजपा को हराने की स्थिति में केवल आम आदमी पार्टी ही सक्षम है, इसलिए वह कांग्रेस के बजाय AAP को अपना समर्थन देने जा रहे हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी कांग्रेस को यह सलाह दी है कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एकजुट रहकर मुकाबला करना चाहिए, और आपसी झगड़ों में उलझने से बचना चाहिए।
संजय राउत ने हाल ही में यह कहा था कि कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि देश की असली लड़ाई भाजपा से है, और इस चुनावी मुकाबले में पार्टी के आपसी झगड़े ही BJP को फायदा पहुंचा सकते हैं।
इस संदर्भ में, नेशनल कांफ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी चिंता जताई कि अगर INDIA गठबंधन के अंदर इस तरह की आपसी लड़ाइयां जारी रही, तो यह गठबंधन का भविष्य खतरे में डाल सकता है। उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो इस गठबंधन को लोकसभा चुनाव के बाद भंग कर देना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था, न कि किसी दीर्घकालिक उद्देश्य के लिए।
यह सब इस बात को दर्शाता है कि इंडिया गठबंधन के भीतर विभिन्न दलों के बीच सहयोग और मतभेद का खेल चल रहा है। जहां कुछ दल भाजपा का मुकाबला करने के लिए एकजुट हो रहे हैं, वहीं कांग्रेस के अंदर कुछ नेता अपनी अलग रणनीति पर जोर दे रहे हैं, जिससे गठबंधन में खींचतान की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में यह देखना होगा कि आगामी चुनावों में गठबंधन का यह सहयोग कितनी मजबूती से कायम रहता है, और इसका प्रभाव राज्यों में होने वाले चुनावों पर कैसे पड़ता है।